सुप्रीम कोर्ट ने सट्टेबाजी ऐप्स पर रोक लगाने की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

डॉ. के. ए. पॉल की जनहित याचिका पर सुनवाई, कहा – सट्टेबाजी से बर्बाद हो रहे हैं परिवार और युवा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. के. ए. पॉल द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। इस याचिका में ऑनलाइन और ऑफलाइन सभी सट्टेबाजी प्लेटफार्मों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध या सख्त नियमन की मांग की गई है।
“सिद्धांततः हम आपके साथ हैं” – सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की – “सिद्धांततः हम आपके साथ हैं, इसे रोका जाना चाहिए… लेकिन शायद आपको यह भ्रम है कि केवल कानून से इसे रोका जा सकता है। जैसे हम हत्या को कानून से नहीं रोक पाते।”
डॉ. पॉल का दावा – सट्टेबाजी से आत्महत्याओं और कर्ज में डूब रहे युवा
डॉ. पॉल ने अदालत को बताया कि सट्टेबाजी ऐप्स के कारण हजारों परिवार बर्बाद हो रहे हैं और लाखों युवा कर्ज में फंस चुके हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि यह अधिकार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जिसे ये प्लेटफॉर्म छीन रहे हैं। उन्होंने तेलंगाना सरकार के आंकड़ों का हवाला दिया, जहां 1,000 से अधिक लोग सट्टा कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं।
“30 करोड़ भारतीय बन रहे हैं शिकार” – सेलेब्रिटी प्रमोशन पर भी सवा
डॉ. पॉल ने दावा किया कि 30 करोड़ भारतीय इन ऐप्स के निशाने पर हैं, जिनका प्रचार फिल्मी सितारे और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 23 मार्च 2025 को तेलंगाना पुलिस ने 25 बॉलीवुड हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि 1,100 से अधिक सेलेब्रिटीज और क्रिकेटर अभी भी इन ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं।
कोर्ट की टिप्पणी – “इस बीच कुछ नहीं हो सकता”, IPL के दौरान बढ़ती है सट्टेबाजी
जस्टिस सूर्यकांत ने तत्काल निर्देश देने की डॉ. पॉल की मांग पर कहा, “इस बीच कुछ नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने माना कि क्रिकेट टूर्नामेंट, खासकर आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी चरम पर होती है, जिसे दर्शक संख्या के रूप में छिपाया जाता है। अदालत ने केंद्र सरकार से इस पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा और राज्यों को नोटिस देने पर बाद में विचार करने की बात कही।
केंद्रीय कानून के अभाव में विदेशी कंपनियां कर रहीं संचालन
डॉ. पॉल ने कहा कि देश में केंद्रीय कानून की कमी के कारण कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां वीपीएन के जरिए भारत में अपने संचालन को जारी रखे हुए हैं, भले ही कुछ राज्यों में सट्टेबाजी पर रोक हो। उन्होंने इस गतिविधि को रोकने के लिए समग्र राष्ट्रीय कानून की मांग की।
डॉ. पॉल का बयान – “यह खेल नहीं, जाल हैं”
सुनवाई के बाद जारी बयान में डॉ. पॉल ने कहा, “आज का दिन करोड़ों परिवारों, युवाओं और अभिभावकों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है। ये ऐप्स कोई खेल नहीं हैं, ये जाल हैं। 30 करोड़ नागरिकों को झूठे सपने दिखाकर लूटा जा रहा है। बेरोजगार युवा जल्दी पैसे कमाने की चाह में कर्ज में डूब रहे हैं और अमीर लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।”
डॉ. पॉल की मांग – पूर्ण प्रतिबंध, सेलेब्रिटी प्रचार पर रोक और ईडी-सीबीआई जांच
डॉ. पॉल ने सट्टेबाजी ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध, सेलेब्रिटीज द्वारा इनके प्रचार पर तत्काल रोक और विदेशी कंपनियों द्वारा कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी और सीबीआई से हस्तक्षेप की मांग की।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से कानून लाने की अपील
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से अनुरोध किया कि वे जल्द से जल्द इस विषय में संसद में कानून लाएं। उन्होंने कहा – “यह हमारे युवाओं, हमारी अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के भविष्य का सवाल है। हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार इसमें देरी नहीं करेगी और तुरंत कदम उठाएगी।”
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