मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई

राष्ट्रपति ने दिलाई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ; न्यायपालिका में सामाजिक समावेश का ऐतिहासिक क्षण

नई दिल्ली, जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस अवसर को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक क्षण माना जा रहा है।

राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया, “श्री जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।”

जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए। उनका चयन न्यायपालिका की वरिष्ठता परंपरा के अनुसार हुआ है, जिसमें निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश का नाम केंद्र सरकार के माध्यम से राष्ट्रपति को सुझाते हैं।

महाराष्ट्र के अमरावती में 1960 में जन्मे जस्टिस गवई, अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन (2007–2010) इस पद पर आसीन हुए थे। उन्होंने 1985 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में वकालत शुरू की थी और लगभग चार दशक लंबे विधिक सेवाकाल के बाद यह शीर्ष पद प्राप्त किया है।

जस्टिस गवई ने सरकारी वकील, लोक अभियोजक, बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश तथा मई 2019 से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने को वैध ठहराने, इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द करने, और नोटबंदी (2016) की वैधता पर बहुमत फैसला देने जैसे कई ऐतिहासिक निर्णयों में भाग लिया है।

उनका न्यायिक योगदान पर्यावरण संरक्षण, आरक्षण नीति की व्याख्या, और अवैध तोड़फोड़ पर विधिक प्रक्रिया सुनिश्चित करने जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय रहा है।

जस्टिस गवई का कार्यकाल मुख्य न्यायाधीश के रूप में छह महीने से थोड़ा अधिक रहेगा और वे 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। अल्पावधि के बावजूद, वे कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों और राष्ट्रीय महत्व के लंबित मामलों की अध्यक्षता करेंगे, जिनमें शासन, पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विषय शामिल हैं।

उनकी नियुक्ति न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका में सामाजिक समावेश और विविधता के महत्व को भी रेखांकित करती है।

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