होमटेक्नोलॉजीबेंगलुरु में कल होगा भारत साइकिल डिजाइन चैलेंज का ग्रैंड फिनाले

बेंगलुरु में कल होगा भारत साइकिल डिजाइन चैलेंज का ग्रैंड फिनाले

नई दिल्ली।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा आयोजित भारत साइकिल डिजाइन चैलेंज (बीसीडीसी) का ग्रैंड फिनाले कल यानि 4 नवंबर को बेंगलुरु में होगा। नम्मा निम्मा साइकिल फाउंडेशन के साथ साझेदारी में एआईसीटीई यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। ग्रैंड फिनाले बेंगलुरु में चाणक्य विश्वविद्यालय में होगा। कार्यक्रम में एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम, पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर डी गणेश, किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड के उपाध्यक्ष जॉर्ज वर्गीज, विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विद्याशंकर और चाणक्य विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यशवन्त डोंगरे मौजूद रहेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक और नॉन इलेक्ट्रिक साइकिलों के डिजाइन और निर्माण में नवाचार व रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने, टिकाऊ परिवहन व्यवस्था विकसित करने और देश में शहरी गतिशीलता के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान तलाशने करने के लिए एआईसीटीई ने जून 2023 में कॉलेज के छात्रों के लिए बीसीडीसी कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें छात्रों की प्रतिभागी टीमों को एक ऐसी साइकिल डिजाइन करने का लक्ष्य दिया गया था जो सस्ती, पर्यावरण के अनुकूल और भारतीय बाजार की जरूरतों के अनुरूप हो। चार श्रेणियों में साइकिल डिज़ाइन के लिए छात्रों और तकनीकी संस्थानों के समूह से 2डी और 3डी डिज़ाइन मांगी गई थी। कठोर परीक्षण और मूल्यांकन के बाद उत्कृष्ठ प्रोटोटाइप के साथ 16 टीमों को चार श्रेणियों के तहत ग्रैंड फिनाले के लिए चुना गया है। ये चार श्रेणी हैं- कार्गो ईवी, कार्गो नॉन-ईवी, कम्यूट ईवी और कम्यूट नॉन-ईवी। पुरस्कार वितरण समारोह दोपहर 3 बजे चाणक्य विश्वविद्यालय में होगा।

क्या है बीसीडीसी

बीसीडीसी भारत का प्रमुख हैकथॉन है जो गतिशीलता के भविष्य और उसकी चुनौतियों को देखते हुये 1,000 से अधिक छात्रों को एक साथ लाता है। इसका फोकस यातायात के सबसे सुलभ साधन साइकिल को और उपयोगी एवं आकर्षक बनाने पर है। बीसीडीसी साइकिल डिजाइन में सकारात्मक बदलाव लाने और यातायात के इस साधन को टिकाऊ बनाने पर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य साइकिल की डिजाइन में नयापन और इसके विनिर्माण क्षमता में आधुनिक प्रक्रिया को बढ़ावा देना है।

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