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चिकित्सा सेवाओ में सुधार को तत्काल उपाय मुख्य और स्वास्थ्य सचिव 30 दिन में लागू करें… एलजी-दिल्‍ली सरकार की लड़ाई के बीच हाईकोर्ट का आदेश

नई दिल्ली।

दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्‍यपाल वीके सक्‍सेना और दिल्‍ली सरकार के बीच तनातनी के बीच अब मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव को राष्ट्रीय राजधानी में चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए छह-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुशंसित ‘‘तत्काल उपायों’’ को 30 दिन के भीतर लागू करने का आदेश दिया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि चूंकि डॉ. एसके सरीन समिति की तत्काल सिफारिशें मानव जीवन को बचाने में काफी मददगार होंगी और किसी भी तरह से ‘‘राजनीतिक प्रकृति की नहीं’’ हैं, इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता बाधा नहीं बनेगी।

पीठ ने 17 पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव एक रोडमैप भी बताएंगे कि वे विशेषज्ञ समिति द्वारा बताई गई समय सीमा के भीतर मध्यवर्ती और दीर्घकालिक उपायों को कैसे लागू करना चाहते हैं।’’ पीठ ने प्रधान स्वास्थ्य सचिव को चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई-सह-स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया है। इस मामले की अब अगली सुनवाई 24 मई को होगी।

हाईकोर्ट के 13 फरवरी के आदेश के अनुपालन में पीठ द्वारा गठित डॉ. सरीन समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट और सिफारिशें प्रस्तुत कीं। पीठ का आदेश सरकारी अस्पतालों में गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में बिस्तर और वेंटिलेटर की कथित कमी को लेकर 2017 में संज्ञान ली गई एक जनहित याचिका पर आया है। समिति ने रिक्त पद, महत्वपूर्ण संकाय की कमी, बुनियादी ढांचे, चिकित्सा या सर्जिकल सामग्रियों, आपातकालीन ऑपरेशन थिएटर, ट्रॉमा सेवाएं और रेफरल प्रणाली समेत चिकित्सा प्रणाली में कुछ कमियों की ओर इशारा किया है।

30 दिन के भीतर लागू करें…

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश पर गौर किया और सराहना की कि इस मामले में उठाई गई प्रमुख चिंताएं दिल्ली के नागरिकों के लिए आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में हैं। समिति ने सिफारिश की है कि तत्काल उपाय 30 दिन के भीतर, अल्पकालिक उपाय 31 से 90 दिन में, मध्यवर्ती उपाय 91 से 365 दिन में और दीर्घकालिक उपाय एक से दो साल में लागू किए जाएं। पीठ ने समिति को चार सप्ताह के भीतर एक पूरक रिपोर्ट दाखिल करने की स्वतंत्रता दी और रजिस्ट्री से आदेश की एक प्रति निर्वाचन आयोग को जानकारी के लिए भेजने को कहा है।

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