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एशियन गेम्स के पदक विजेताओं को किया सम्मानित: सीएम केजरीवाल ने खिलाड़ियों पर की पैसों की बरसात, गोल्ड जीतने वाले को मिले एक करोड़

नई दिल्ली।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एशियन गेम्स-2022 में मेडल जीत कर भारत का नाम रोशन करने वाले दिल्ली के 11 खिलाड़ियों और 3 कोचों को सम्मानित किया। इस दौरान सीएम ने कैश इंसेंटिव स्कीम के तहत गोल्ड मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को एक करोड़, सिल्वर को 75 लाख और ब्रॉन्ज को 50 लाख रुपए का चेक सौंपा।

दिल्ली सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अरविंद केजरीवाल ने खिलाड़ियों से कहा कि आप सभी ने पूरी दुनिया में भारत और दिल्ली का नाम रोशन किया है। आप लोग साल दर साल दिल्ली और देश के लिए मेडल ला रहे हैं। हमारे साथ-साथ पूरे देश को आप पर गर्व है। आपके कोच भी बधाई के पात्र हैं जिनकी बेहतरीन ट्रेनिंग ने आपके हुनर को तराशा है। हम आपस में भले ही एक-दूसरे से चाहे कितना भी मत-भिन्नता रखते हों, लेकिन जब हमारे खिलाड़ी विदेश में मेडल जीतते हैं, वहां हमारा तिरंगा लहराता है और सारी दुनिया के सामने राष्ट्रगान बजता है, तो सारा देश आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ खड़ा हो जाता है। आपके लिए तालियां बजाता है और गर्व महसूस करता है कि हमारे खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है। ये मुकाम इतनी आसानी से नहीं पाया जा सकता है। आप लोगों ने इसके लिए बहुत संघर्ष, त्याग और तपस्या की है, तब जाकर यह सब हासिल किया है। हमारी कोशिश है कि हम आपके संघर्ष में आपका जितना सहयोग कर सकते हैं, उतना सहयोग करें।

सीएम ने कहा कि हमारा 140 करोड़ लोगों का देश है, जहां टैलेंट की कमी नहीं है। हमारे देश के गांवों और शहरों में जबरदस्त टैलेंट है और वो टैलेंट संघर्ष भी कर रहा है। लेकिन उसे सही अवसर और सुविधाएं नहीं मिलीं। उन सभी को वो अवसर और सुविधाएं देने का काम हम सरकारों का था। कमी हम सरकारों के अंदर ही रह गई। किसी एक सरकार को मैं इसका दोष नहीं दे रहा हूं। हम सबको इसके लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

सीएम ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी तो हमारी कोशिश यही थी कि हम ज्यादा से ज्यादा उभरते हुए खिलाड़ियों की मदद करें। हमने जानकारी जुटाई तो पता चला कि देश के कई राज्यों में खिलाड़ियों के लिए बहुत अच्छी पॉलिसी हैं। हमने उन सभी पॉलिसी को मंगाया और दिल्ली में देश की सबसे बेहतरीन पॉलिसी बनाने की कोशिश की। जब हमने यह पॉलिसी बनाई थी, तब यह देश की सबसे बेहतरीन पॉलिसी थी। लेकिन मुझे पता चला कि कुछ राज्यों ने पिछले 2-3 साल के अंदर अपनी योजनाओं में कई नए सुधार किए हैं। हम उन्हें भी अपनी पॉलिसी में शामिल करेंगे। जिसके बाद दिल्ली की हमारी यह पॉलिसी फिर से देश की नंबर-1 पॉलिसी बन जाएगी।

उन्होंने कहा कि हमारा मकसद स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना है। उस दिशा में भी हमने काफी काम करने की कोशिश की है। कई बार हम अन्य देशों से भी सीखते हैं. चीन में बचपन से ही खिलाड़ियों को पकड़ लिया जाता है और उन्हें शुरुआत से ही उस स्पोर्ट्स के लिए तैयार किया जाता है। इसी दिशा में हमने भी कुछ कदम उठाने की कोशिश की है।

उन्होंने ने कहा कि हमारी “प्ले एंड प्रोग्रेस स्कीम“ के तहत 17 साल की उम्र तक के बच्चे अगर किसी स्पोर्ट्स में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो हम उस बच्चे को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए 1 से 3 लाख रुपए सालाना देते हैं, ताकि उससे वो कोचिंग ले सके, अपनी डाइट का ध्यान रख सके और अपने स्पोर्ट्स का सामान खरीद सके। इस योजना के तहत 2018 से 2022 तक पिछले चार साल के अंदर हमने 1.5 हजार बच्चों को 32 करोड़ रुपए की राशि देकर सहायता की है। वहीं जो बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर प्रतिभा दिखाते हैं। उनके डाइट, ट्रेनिंग, स्पोर्ट्स सामग्री और खुद को तैयार करने के लिए 16 लाख रुपये की राशि दी जाती है। इसके तहत पिछले चार सालों में लगभग 400 खिलाड़ियों को 25 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। जबकि ओलंपिक, एशियन समेत राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीतकर लाने वाले खिलाड़ियों को कैश इंसेंटिव स्कीम के तहत प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके तहत ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने वालों को तीन करोड़, सिल्वर मेडल वालों को दो करोड़ और ब्रांज मेडल लाने वालों को एक करोड़ रुपये दिए जाते हैं। वहीं एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल लाने वालों को एक करोड़, सिल्वर मेडल वालों को 75 लाख और ब्रांज मेडल वालों को 50 लाख रुपये पुरस्कार के तौर पर दिए जाते हैं। इसके साथ ही खिलाड़ियों के कोचों को भी प्रोत्साहित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय पटल पर बेहतरीन खिलाड़ी निकल सकें, इसके लिए लिए हमने दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की शुरूआत की है। हालांकि अभी उस यूनिवर्सटी को बनने में करीब तीन साल लगेंगे, लेकिन उस यूनिवर्सिटी के तहत दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल शुरू कर दिया गया है। इसमें दाखिला लेने के लिए पिछले साल देशभर से लगभग 15 हजार बच्चों ने आवेदन किया था। ऐसे में चयन के लिए कड़ी प्रक्रिया हुई और 17 राज्यों में से 172 बच्चों का चयन किया गया। अब इन बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन बच्चों का हौंसला देखकर बहुत गर्व होता है और लगता है कि आने वाले समय में दिल्ली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेगी। इन 172 बच्चों को 10 ओलंपिक गेम्स के लिए तैयार किया जा रहा है, जिनमें एथलेटिक्स, आर्चरी, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, लॉन टेनिस, टेबिल टेनिस, स्वीमिंग, शूटिंग, वेटलिफ्टिंग और रेसलिंग शामिल हैं। इन दस खेलों के लिए बच्चों को शानदार सुविधा और खेल सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही देशभर से बेस्ट कोचों को नियुक्त किया गया है। ये बच्चे पूरा दिन खेलों के लिए ट्रेनिंग करते हैं।

उन्होंने बताया कि चयनित बच्चों को कक्षा 6 से लेकर 9वीं में दाखिला दिलाया गया है। इनको खेलों के साथ में पढ़ाई भी कराई जाती है, जिससे कि ये लोग अपनी कक्षा में पास हो सकें। स्पोर्ट्स स्कूल को दिल्ली बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन से मान्यता दिलाई गई है। अब इन बच्चों को आने वाले समय में अन्य डिग्रियों की तरह खेलों में ग्रैजुएशन की डिग्री मिलेगी। भगवान न करें कि कोई बच्चा अगर आने वाले समय में किसी कारणवश खेलों में करियर नहीं बना पाता है तो ड्रिगी की बदौलत प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर सकता है। स्पोर्ट्स स्कूल में खेल ही पढ़ाई का जरिया है। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का मकसद ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाना है। उन्होंने खिलाड़ियों से अपील करते हुए कहा कि स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से जुड़कर उन बच्चों की मदद करें, ताकि आने वाले समय में इस जगह पर 11 की जगह 1100 खिलाड़ी बैठें। हम दिल्ली को देश से अलग करके नहीं देख रहे हैं। पूरा देश अपना है। अंतररष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाला हर मेडल राज्य को नहीं, बल्कि देश को मिलता है।

इन पदक विजेताओं को सीएम केजरीवाल ने किया सम्मानित

अमन कुश्ती 57 किलोग्राम (कांस्य पदक विजेता), तेजस्विन शंकर और अमोज जैकब एथलेटिक्स, तन्वी खन्ना और अनहत सिंह स्क्वैश, राजेश्वर तिवारी ब्रिज, रोहन कपूर बैडमिंटन, हीरल साधु रोलर स्केटिंग, पवन कुमार कबड्‌डी, दीपक पुनिया कुश्ती, अर्जुन अवार्डी अभिषेक वर्मा तीरदांजी

इतने रुपए का दिया गया पुरस्कार

अभिषेक वर्मा- 1.75 करोड़ रुपए
अमोज जैकब- 1 करोड़ रुपए
पवन कुमार- 1 करोड़ रुपए
अनहत सिंह- 1 करोड़ रुपए
राजेश्वर तिवारी- 75 लाख रुपए
दीपक पुनिया- 75 लाख रुपए
तेजस्विन शंकर- 75 लाख रुपए
रोहन कपूर- 75 लाख रुपए
हीरल साधू- 50 लाख रुपए
तन्वी खन्ना- 50 लाख रुपए
अमन- 50 लाख रुपए

कोच

सुनील कुमार- 6 लाख रुपए
राहुल कौश- 6 लाख रुपए
मुकेश डबास- 6 लाख रुपए

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