महिला समानता दिवस पर Shweta Tripathi का संदेश – “बेटियों की आवाज को न दबाएं, बदलाव घर से शुरू करें”
Shweta Tripathi कहती हैं सिनेमा वही दिखाता है, जो समाज देखना चाहता है – कहानियों पर फोकस हो

नई दिल्ली, 26 अगस्त 2025
26 अगस्त को देशभर में महिला समानता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों और बराबरी की सोच को बढ़ावा देना है। इसी मौके पर एक इंटरव्यू मे अभिनेत्री Shweta Tripathi से खास बातचीत हुई । ‘मिर्जापुर’ में गोलू गुप्ता का दमदार किरदार निभाने वाली श्वेता ने इस विषय पर खुलकर अपने विचार रखे और महिलाओं की आवाज को दबाने की मानसिकता पर चिंता जताई।
बराबरी की शुरुआत घर से
Shweta Tripathi कहती हैं, “आज भी अखबारों में खबरें आती हैं कि किसी लड़की को दहेज या अन्य कारणों से जिंदा जला दिया गया। यह बेहद दुखद है। बदलाव की शुरुआत केवल कानूनों या बड़ी नीतियों से नहीं, बल्कि घर से होती है। अगर परिवार ही बेटियों की आवाज दबा देगा तो फिर बाहर की दुनिया से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?”
खुशनसीब हूं कि मिला प्रोत्साहन
अपने बचपन को याद करते हुए Shweta Tripathi बताती हैं, “मैं भाग्यशाली रही कि मेरे घर में शिक्षा और सोच को हमेशा महत्व दिया गया। पापा आईएएस थे, मम्मी टीचर और बहन हेडमिस्ट्रेस। ऐसे माहौल ने मुझे सिखाया कि सही बात के लिए खड़े होना जरूरी है, भले ही हालात कठिन हों।”
सवाल उठाइए, बदलाव होगा
बराबरी को लेकर Shweta Tripathi का मानना है कि यह लड़ाई रोजमर्रा का हिस्सा होनी चाहिए। “लोग सोचते हैं कि जेंडर इक्वलिटी सिर्फ बड़े मुद्दों पर बहस करने के लिए है। जबकि सच्चाई यह है कि इसे हमारी रोज की बातों और सोच का हिस्सा बनाना होगा। सवाल पूछना बंद नहीं करना चाहिए।”
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सिनेमा और समाज का रिश्ता
सिनेमा की भूमिका पर Shweta Tripathi कहती हैं, “फिल्में समाज का आईना होती हैं। दर्शक जो देखना चाहते हैं, वही बनता है। इसलिए कहानियों पर जोर देना होगा। चाहे किरदार महिला हो या पुरुष – अच्छी कहानी हमेशा असर छोड़ती है। मुझे ऐसे रोल पसंद हैं जो स्टीरियोटाइप तोड़ें और सोचने पर मजबूर करें।”
पर्दे के पीछे भी महिलाओं की मौजूदगी जरूरी
बॉलीवुड में महिलाओं के योगदान पर Shweta Tripathi कहती हैं, “औरतों का प्रोडक्शन और पर्दे के पीछे आना बहुत जरूरी है। एक्ट्रेस हों या नए प्रोड्यूसर – हर क्षेत्र में महिलाओं की मौजूदगी बदलाव ला सकती है। छोटे-छोटे प्रयास मिलकर बड़ी क्रांति का रूप लेते हैं।”
बराबरी खुद से शुरू करें
Shweta Tripathi का मानना है कि महिलाओं को पहले खुद के साथ ईमानदार होना चाहिए। “हमारे भी सपने और इच्छाएं हैं, चाहे वह आर्थिक हों या निजी। पहले खुद को बराबरी दें, तभी समाज से उम्मीद कर पाएंगी। यह औरत बनाम मर्द की लड़ाई नहीं, बल्कि इंसानियत की साझा जिम्मेदारी है।”
महिला समानता दिवस के मौके पर Shweta Tripathi का यह संदेश साफ है कि बदलाव केवल कानूनों या नीतियों से नहीं, बल्कि परिवार और व्यक्ति की सोच से शुरू होता है। बेटियों की आवाज को दबाना नहीं, बल्कि उसे प्रोत्साहित करना ही असली बराबरी की दिशा है।
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