Housewife Day पर जानिए उन फिल्मों के बारे में जिन्होंने घर की चारदीवारी में सीमित महिलाओं के संघर्ष, सम्मान और आत्मबल की आवाज़ को पर्दे पर उजागर किया।
03 नवंबर 2025 , नई दिल्ली
आज देशभर में राष्ट्रीय गृहिणी दिवस (National Housewife Day) मनाया जा रहा है — एक ऐसा दिन जो उन महिलाओं को समर्पित है जो घर की रीढ़ होती हैं। गृहिणी, यानी वो महिला जो परिवार की देखभाल, ज़िम्मेदारियों और रिश्तों को बखूबी निभाती है। अक्सर उनका काम अनदेखा रह जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि वे ही हर घर की असली ताकत होती हैं।
बॉलीवुड ने भी कई बार इन नायिकाओं की कहानियों को पर्दे पर उतारकर उनके संघर्ष और आत्मसम्मान को उजागर किया है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी बेहतरीन फिल्मों के बारे में, जिन्होंने गृहिणियों के जज़्बे और आत्मबल को आवाज दी।
1. मिसेज (Mrs)
आरती कदव के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मिसेज’ में सान्या मल्होत्रा मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपने परिवार की जिम्मेदारियों में उलझकर अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाती। कहानी समाज की उस मानसिकता पर सवाल उठाती है जो महिलाओं की भूमिकाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित कर देती है। यह फिल्म संदेश देती है कि हर गृहिणी को न केवल सम्मान बल्कि अपने सपनों को जीने की आज़ादी भी मिलनी चाहिए।
2. थप्पड़ (Thappad)
अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी ‘थप्पड़’ (2020) एक संवेदनशील और सोचने पर मजबूर कर देने वाली फिल्म है। इसमें तापसी पन्नू ने अमृता नाम की महिला का किरदार निभाया है, जो पढ़ी-लिखी होने के बावजूद घर संभालने का चुनाव करती है। जब एक दिन उसके पति द्वारा सबके सामने थप्पड़ मारा जाता है, तो उसकी पूरी दुनिया बदल जाती है। फिल्म यह संदेश देती है कि सम्मान किसी रिश्ते की बुनियाद है, और कोई भी महिला अपमान सहने के लिए बाध्य नहीं है।
3. इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish)
गौरी शिंदे द्वारा निर्देशित यह फिल्म (2012) एक ऐसी गृहिणी की प्रेरणादायक कहानी है जो अंग्रेज़ी न बोल पाने के कारण परिवार और समाज में खुद को असहज महसूस करती है। लेकिन जब वह इसे सीखने का निश्चय करती है, तो अपने आत्मविश्वास को फिर से पा लेती है। श्रीदेवी ने ‘शशि’ के किरदार को इस तरह जीवंत किया कि हर महिला खुद को उसमें देख पाती है। फिल्म सिखाती है कि आत्मसम्मान सबसे बड़ी ताकत है।
4. बीवी नंबर 1 (Biwi No.1)
डेविड धवन की यह फिल्म (1999) एक पारिवारिक ड्रामा है, जिसमें करिश्मा कपूर ने एक आदर्श गृहिणी का किरदार निभाया है। उनका पति (सलमान खान) एक अन्य महिला से प्यार करने लगता है, लेकिन कहानी में पत्नी का संयम, संस्कार और आत्मसम्मान देखने लायक है। फिल्म यह दिखाती है कि गृहिणी होना कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत की पहचान है।
5. तुम्हारी सुलु (Tumhari Sulu)
विद्या बालन अभिनीत यह फिल्म (2017) एक आम गृहिणी ‘सुलोचना’ की कहानी है, जो घर संभालते हुए अपनी पहचान तलाशती है। जब वह रेडियो जॉकी बनती है, तो समाज को यह संदेश देती है कि महिलाएं किसी भी उम्र में नए सपने देख सकती हैं। सुरेश त्रिवेदी के निर्देशन में बनी यह फिल्म हर महिला को खुद पर विश्वास करने की प्रेरणा देती है।
इन फिल्मों ने यह साबित किया है कि गृहिणियां सिर्फ घर चलाने तक सीमित नहीं हैं — वे सपनों, आत्मबल और प्रेरणा का प्रतीक हैं।
राष्ट्रीय गृहिणी दिवस के इस मौके पर हमें यह याद रखना चाहिए कि हर महिला, चाहे वह घर पर हो या बाहर, सम्मान और समान अवसर की हकदार है।
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