पांच साल बाद फिर शुरू हुई नाथुला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा, 36 श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

  • श्रद्धालुओं का दल पहुंचा आधार शिविर, 20 जून से शुरू होगी मुख्य यात्रा
  • आईटीबीपी ने दी सुरक्षा और मार्गदर्शन, दो-दो दिन 18 माइल और शेराथांग में ठहराव
  • योग, भजन और भ्रमण से तैयार किया जाएगा यात्रियों को अनुकूलन अवधि में
  • यात्रा से धार्मिक पर्यटन के साथ भारत-चीन संबंधों को भी मिलेगा नया आयाम

कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर नाथुला दर्रे के रास्ते से शुरू हो गई है। यह यात्रा पिछले पांच वर्षों से बंद थी और अब इसके फिर से आरंभ होने से श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। सोमवार को 36 श्रद्धालुओं का पहला जत्था इस पवित्र यात्रा के लिए रवाना हुआ, जिसमें 23 पुरुष और 13 महिलाएं शामिल हैं।

यात्रा के पहले चरण में सभी श्रद्धालु सिक्किम स्थित 18 माइल के आधार शिविर पहुंचेंगे। वहां से वे 20 जून को कैलाश मानसरोवर के लिए मुख्य यात्रा की शुरुआत करेंगे।

सिक्किम पर्यटन विकास निगम के सीईओ राजेन्द्र छेत्री ने बताया कि यात्रा से पहले आईटीबीपी ने सभी यात्रियों को सुरक्षा और मार्गदर्शन से जुड़ी जानकारी दी। यात्रियों के साथ एक सम्पर्क अधिकारी, एक डॉक्टर, आईटीबीपी के जवान और रसोइयों की टीम भी यात्रा में मौजूद रहेगी।

श्रद्धालु सबसे पहले 18 माइल स्थित नव निर्मित अनुकूलन केंद्र में दो दिन ठहरेंगे और फिर शेराथांग में दो दिन बिताएंगे। इस दौरान उन्हें स्थानीय स्थलों के दर्शन, योग अभ्यास और भजन संध्या जैसी गतिविधियों से मानसिक और शारीरिक रूप से यात्रा के लिए तैयार किया जाएगा। छठे दिन स्वास्थ्य परीक्षण और दस्तावेज सत्यापन के बाद उन्हें चीन सीमा में प्रवेश की अनुमति मिलेगी।

राजेन्द्र छेत्री ने इस यात्रा को सिक्किम और भारत के लिए गौरवपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “यह न केवल आध्यात्मिक बल्कि हमारी राज्य की मेहमाननवाजी, सुरक्षा व्यवस्था और आधारभूत ढांचे की भी परीक्षा है, जिसे हम पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं।”

नाथुला मार्ग से यात्रा की बहाली धार्मिक आस्था की पुनर्स्थापना के साथ-साथ भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में पर्यटन और सांस्कृतिक रिश्तों को भी मजबूत करेगी।

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