विश्व युद्ध के खतरे से बचने का वक्त: डॉ. पॉल ने भारत से निभाने को कहा गांधी की भूमिका

  • समय रहते हस्तक्षेप न हुआ तो बन सकता है विश्व युद्ध का खतरा: डॉ. पॉल
  • भारतीय प्रधानमंत्री और सांसदों से गांधी-अंबेडकर की शांति परंपरा निभाने की अपील
  • नेतन्याहू की नीतियों को बताया गैर-जिम्मेदाराना, सभी पक्षों से संयम बरतने की मांग

प्रसिद्ध शांति दूत और मानवतावादी डॉ. के.ए. पॉल ने आज नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने भारत समेत वैश्विक नेताओं से आग्रह किया कि वे इस संकट को टालने के लिए तत्काल कूटनीतिक प्रयास शुरू करें। डॉ. पॉल ने चेतावनी दी कि अगर हालात पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह संघर्ष विश्व युद्ध का रूप ले सकता है।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, नाटो और प्रमुख देशों की सरकारों की चुप्पी पर भी तीखा सवाल उठाया। “दुनिया भर के नेता मूक दर्शक बने हैं, युद्धों पर खरबों रुपये खर्च हो रहे हैं, जबकि अरबों लोग भूख और गरीबी से जूझ रहे हैं। यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती,” उन्होंने कहा।

डॉ. पॉल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों से अपील की कि वे देश की ऐतिहासिक शांति नीति को बनाए रखें। “यदि भारत को विश्वगुरु बनना है, तो वह हथियारों से नहीं, बुद्धिमत्ता से नेतृत्व करे,” उन्होंने कहा।

डॉ. पॉल ने यह भी बताया कि वे इस्राइल और ईरान की विभिन्न सरकारों के समय राज्य अतिथि रहे हैं और अमेरिका व भारत के बड़े नेताओं से भी लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियों को “गंभीर और असंवेदनशील” बताते हुए कहा कि ईरान और गाजा पर हो रहे हमले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हैं।

हालांकि उन्होंने 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले की निंदा की, लेकिन साथ ही गाजा में बिगड़ते मानवीय संकट पर भी चिंता जताई और सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया। “एक निर्दोष व्यक्ति का जीवन पूरी दुनिया की दौलत से कहीं अधिक मूल्यवान है,” डॉ. पॉल ने कहा।

अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने भारत, G7 देशों और अन्य वैश्विक शक्तियों से आह्वान किया कि वे पर्दे के पीछे संवाद शुरू करें, शांति प्रतिनिधिमंडल भेजें और वैश्विक सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करें ताकि अनगिनत जानें बचाई जा सकें।

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