श्रद्ध 2025: पितरों की मुक्ति के लिए ये पांच पावन स्थल माने जाते हैं सर्वश्रेष्ठ

श्राद्ध और तर्पण के लिए विशेष तीर्थस्थल, जहां पितरों को मिलता है मोक्ष का वरदान

हिंदू सनातन परंपरा में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस पखवाड़े में श्रद्धा और विधि-विधान से किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों को तृप्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक चलने वाला यह काल पितरों को स्मरण करने और उनके उद्धार के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आइए जानते हैं वे प्रमुख तीर्थस्थान जहां श्राद्ध करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।

  1. गया – पितृमोक्ष का सर्वोच्च तीर्थ

गया, जो सप्तपुरियों में एक है, पितरों की मुक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर स्थित विष्णुपद मंदिर में श्राद्ध और पिंडदान करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष मिलता है। यही कारण है कि गया को ‘मुक्तिधाम’ भी कहा जाता है।

  1. वाराणसी – पिशाचमोचन कुंड का महत्व

काशी नगरी में मणिकर्णिका घाट और पिशाचमोचन कुंड श्राद्ध के लिए प्रमुख माने जाते हैं। परंपरा है कि गया श्राद्ध से पूर्व यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए। इसे पितृकुंड, मातृकुंड और विमल तीर्थ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां किए गए श्राद्ध से दिवंगत आत्मा को शिवलोक प्राप्त होता है।

  1. हरिद्वार – हर की पौड़ी और नारायण शिला

हरिद्वार में कुशावर्त घाट और नारायण शिला श्राद्ध के मुख्य स्थल हैं। हर की पौड़ी के निकट स्थित कुशावर्त घाट पर दूर-दूर से लोग अपने पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए आते हैं। जिनके पितर प्रेत योनि में कष्ट पा रहे हों, उनके लिए नारायण शिला पर श्राद्ध करना विशेष फलदायी माना गया है।

  1. बद्रीनाथ – ब्रह्मकपाल घाट पर विशेष फल

बद्रीनाथ धाम में ब्रह्मकपाल घाट पर किए गए पिंडदान को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी। यहां किए गए श्राद्ध को गया से भी अधिक प्रभावशाली बताया गया है।

  1. पुष्कर – ब्रह्मा मंदिर और श्राद्ध परंपरा

पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी का मंदिर अद्वितीय है। यह तीर्थ न केवल ब्रह्मा जी की पूजा के लिए बल्कि श्राद्ध और पिंडदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां भगवान राम ने भी अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था। यहां सात कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पितरों के लिए श्राद्ध किया जा सकता है।

अन्य विकल्प: जहां नहीं पहुंच सकते, वहां करें ये उपाय

यदि आप किसी प्रमुख तीर्थ तक नहीं पहुंच पाते तो घर के दक्षिण दिशा में, गौशाला में, बरगद के पेड़ के नीचे, किसी पवित्र नदी या समुद्र के किनारे भी श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। मान्यता है कि श्रद्धा और विधि के साथ किया गया श्राद्ध हर स्थान पर पितरों को तृप्ति प्रदान करता है।

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