राजकोषीय घाटा कम करने और आर्थिक मजबूती के लिए मिलेगी बड़ी राहत, विशेषज्ञ बोले – आने वाले वर्षों में डिविडेंड 3.5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर किया है। यह अब तक का सबसे बड़ा अधिशेष भुगतान है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 27.4% अधिक है। इस राशि से सरकार को राजकोषीय घाटा नियंत्रित करने, बजट में अतिरिक्त खर्च की गुंजाइश बढ़ाने और आर्थिक दबाव से निपटने में मदद मिलेगी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में कुल 2.56 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड की उम्मीद जताई थी, जिसमें RBI से प्राप्त राशि ही इस अनुमान को पार कर गई। यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की 616वीं बैठक में लिया गया।
9 साल में 9 गुना बढ़ा डिविडेंड, अब 3.5 लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई द्वारा सरकार को मिलने वाले लाभांश में पिछले दशक में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। 2016-17 में यह राशि 30,659 करोड़ रुपये थी, जो अब 2.69 लाख करोड़ रुपये हो गई है। यदि यही रुझान जारी रहा, तो भविष्य में यह आंकड़ा 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
बजट में राहत, कर दबाव होगा कम
रेटिंग एजेंसी ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, यह अतिरिक्त राशि सरकार को बजट से अधिक खर्च करने का अवसर देगी और कर संग्रह पर निर्भरता भी घटेगी। सरकार इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4% तक सीमित रखने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें यह डिविडेंड अहम भूमिका निभाएगा।
अमेरिकी दबाव और पाकिस्तान की सुरक्षा चुनौतियों के बीच आर्थिक मजबूती
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इस अधिशेष से भारत को अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और पाकिस्तान से उत्पन्न सुरक्षा खर्च जैसे मुद्दों से निपटने में सहारा मिलेगा। इससे भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता और बाहरी दबावों से निपटने की क्षमता में वृद्धि होगी।
संशोधित पूंजी ढांचे के तहत बढ़ा जोखिम बफर
RBI ने इस डिविडेंड को अपने संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) के अंतर्गत तय किया है। इसके तहत आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) को बढ़ाकर 7.5% किया गया है, जो कि बैंक की दीर्घकालिक स्थिरता और जोखिम प्रबंधन रणनीति को दर्शाता है।
भारत-पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में साफ अंतर
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई से भारत को मिली 31 बिलियन डॉलर (2.69 लाख करोड़ रुपये) की यह रकम दर्शाती है कि देश की आर्थिक नींव कितनी मजबूत है। दूसरी ओर पाकिस्तान IMF और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मदद की आस लगाए बैठा है, जबकि भारत को यह भारी भरकम पूंजी अपने केंद्रीय बैंक से ही प्राप्त हो रही है — जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा संकेत है।
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