गुर्दे की पथरी क्यों बनती है, इसके लक्षण क्या हैं और किन खाने-पीने की आदतों से इसे रोका जा सकता है। साथ ही इस नवरात्रि में किडनी को स्वस्थ रखने के आसान नियम।
गुर्दे की पथरी यानी किडनी स्टोन ठोस क्रिस्टल होते हैं, जो खनिज, अम्ल और लवण से मिलकर किडनी में बनते हैं। ये कभी रेत के कण जितने छोटे तो कभी गोल्फ बॉल जितने बड़े भी हो सकते हैं।
छोटी पथरी बिना दर्द के मूत्र के साथ निकल सकती है।
बड़ी पथरी मूत्रनली में फंसकर तेज दर्द और परेशानी पैदा करती है।
किडनी स्टोन के लक्षण
पेट या कमर के किनारे (फ्लैंक पेन) में तेज या लहरों जैसा दर्द।
पेशाब में खून आना।
पेशाब करते समय जलन या दर्द।
बार-बार पेशाब की इच्छा होना।
किडनी स्टोन के प्रकार
कैल्शियम ऑक्सलेट/कैल्शियम फॉस्फेट पथरी – कैल्शियम युक्त भोजन से।
यूरिक एसिड पथरी – ज्यादा पशु प्रोटीन जैसे मांस, अंडा, मछली खाने से।
स्ट्रूवाइट पथरी – बार-बार होने वाले इंफेक्शन से।
पथरी बनने से कैसे बचें?
रोज़ाना पर्याप्त पानी पिएं (कम से कम 2.5 से 3 लीटर)।
मांस और अधिक कैल्शियम वाले भोजन का अत्यधिक सेवन न करें।
विटामिन C की संतुलित खुराक लें।
जरूरत पड़ने पर नियमित मूत्र परीक्षण या अल्ट्रासाउंड करवाएं।
नवरात्रि में किडनी की देखभाल कैसे करें?
नवरात्रि के व्रत में डाइट बदल जाती है, ऐसे में पथरी से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
पानी का सेवन ज्यादा करें – व्रत में निर्जला उपवास न करें, नारियल पानी और नींबू पानी भी ले सकते हैं।
फल और सब्जियां शामिल करें – पपीता, सेब, खीरा, लौकी जैसे हल्के फल-सब्जियां किडनी के लिए अच्छे हैं।
नमक और पैकेज्ड फूड कम करें – सेंधा नमक भी सीमित मात्रा में लें।
दूध उत्पाद संतुलित मात्रा में – दही या छाछ ले सकते हैं, लेकिन अत्यधिक दूध का सेवन न करें।
तैलीय व तले हुए फलाहारी भोजन से बचें – ये शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा सकते हैं।
अंडा और मछली जैसे प्रोटीन स्रोत किडनी स्टोन के खतरे को बढ़ा सकते हैं, खासकर अगर पानी का सेवन कम हो और शरीर में यूरिक एसिड स्तर ज्यादा हो। समय पर जांच और सही खान-पान से इस समस्या को रोका जा सकता है। नवरात्रि के उपवास में हल्का, हाइड्रेटेड और संतुलित भोजन लेकर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।
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