कोविड-19 का एक विशेष प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं पर करता है हमला, इजरायली वैज्ञानिकों ने शोध में किया बड़ा खुलासा

कोविड-19 की एक नई लहर के बीच इजरायल के वैज्ञानिकों ने इस वायरस से जुड़ा एक चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है। सेल रिपोर्ट्स नामक जानी-मानी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (NP) शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है, जिससे न केवल गंभीर संक्रमण हो सकता है बल्कि लॉन्ग कोविड की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

स्वस्थ कोशिकाओं तक फैलता है वायरस का प्रोटीन

यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया कि NP प्रोटीन केवल संक्रमित कोशिकाओं तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आस-पास की स्वस्थ एपिथिलियल कोशिकाओं तक भी पहुंच जाता है। यह प्रोटीन जब इन कोशिकाओं की सतह पर चिपकता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उसे दुश्मन मानकर एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देती है।

इम्यून सिस्टम हो जाता है भ्रमित

शोधकर्ताओं के अनुसार, जब NP प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं पर पाया जाता है तो यह शरीर की ‘क्लासिकल कॉम्प्लीमेंट पाथवे’ नामक प्रतिरक्षा प्रक्रिया को सक्रिय कर देता है। इससे सूजन, ऊतकों को नुकसान और कोविड के गंभीर लक्षण उभरते हैं। यह प्रक्रिया प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना भ्रमित कर देती है कि वह शरीर की अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करने लगती है।

एनोक्सापारिन नामक दवा से मिल सकती है राहत

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ‘एनोक्सापारिन’ नाम की खून पतली करने वाली एक पुरानी दवा इस प्रक्रिया को रोक सकती है। यह दवा NP प्रोटीन को स्वस्थ कोशिकाओं की सतह से चिपकने से रोकने में असरदार पाई गई है। यह संशोधित हेपरिन फार्म शरीर और लैब दोनों में उपयोगी साबित हुआ है।

भविष्य के इलाज की नई दिशा

यह शोध न केवल कोविड के गंभीर लक्षणों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह वायरस के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में आने वाली गड़बड़ियों को रोकने के संभावित उपाय भी प्रस्तुत करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज के आधार पर कोविड और अन्य वायरल बीमारियों के इलाज के लिए नई औषधियाँ विकसित की जा सकती हैं।

NB 1.8.1 वैरिएंट पर वैज्ञानिकों की निगाह

इसी बीच, कोविड-19 का नया वैरिएंट NB 1.8.1 तेजी से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैल रहा है। यह ओमिक्रॉन परिवार से संबंधित है और पहली बार जनवरी 2025 में सामने आया था। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, मालदीव और मिस्र जैसे देशों में यह वैरिएंट अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे “निगरानी में रखा गया वैरिएंट” की श्रेणी में रखा है। हालांकि अभी इसे गंभीर खतरा नहीं माना जा रहा, लेकिन वैज्ञानिक इसकी बढ़ती रफ्तार को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।

ये भी पढ़ें :- सीतापुर में इंदिरा आईवीएफ का नया फर्टिलिटी सेंटर शुरू, उन्नत तकनीक और बेहतर देखभाल के साथ इलाज होगा और भी सुलभ

More From Author

MERI कॉलेज में कार्यशाला: सोशल मीडिया पर प्रभावी बनने के गुर सिखाए संसद टीवी की पत्रकार नम्रता सिंह ने

अहमदाबाद विमान हादसा: लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त, 242 लोग थे सवार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *