भारतीय शोधकर्ता ने 360 दिन के वर्ष और 61 सेकंड के मिनट वाली सरल व एकीकृत प्रणाली प्रस्तुत की, संयुक्त राष्ट्र व ISO में प्रस्ताव ले जाने की तैयारी
सन् 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने जूलियन कैलेंडर की कमियों को सुधारकर ग्रेगोरियन कैलेंडर लागू किया था। अब लगभग पाँच सौ साल बाद भारतीय युवा शोधकर्ता नमह ने समय गणना का एक नया और साहसिक मॉडल प्रस्तुत किया है — “नमह कैलेंडर”।
नमह कैलेंडर की विशेषताएँ
- वर्ष होगा 360 दिन का (12 महीने × 30 दिन)।
- प्रत्येक मिनट में होंगे 61 सेकंड।
- त्योहार और आयोजन हमेशा तय तिथियों पर ही होंगे।
- अवधारणा: “One World, One Calendar”, यानी पूरी दुनिया के लिए एक समान प्रणाली।
नमह का दृष्टिको
नमह का कहना है,
“जैसे 16वीं शताब्दी में ग्रेगोरियन कैलेंडर मानवता के लिए आवश्यक था, उसी तरह आज के डिजिटल और वैश्विक युग में नमह कैलेंडर एक नई जरूरत है। यह केवल कैलेंडर नहीं बल्कि वैज्ञानिक सरलीकरण और वैश्विक सहयोग की दिशा में नया कदम है।”
क्यों ज़रूरी है नया कैलेंडर?
- वर्तमान ग्रेगोरियन प्रणाली जटिल है: अलग-अलग महीनों की लंबाई, लीप वर्ष और समय की असमानताएँ।
- 360-दिन का मॉडल अधिक सरल और ऊर्जा-कुशल है।
- यह शिक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए नई राह खोलेगा।
अगले कदम
- अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों की टीम बनाकर वैज्ञानिक प्रमाणन और सेकंड की नई परिभाषा का परीक्षण।
- प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र (UN) और ISO में पेश करना और वैश्विक विश्वविद्यालयों से सहयोग।
- डिजिटल कैलेंडर और स्मार्ट डिवाइसों में पायलट प्रोजेक्ट्स।
- शिक्षा और मीडिया के जरिए लोकजागरण अभियान।
- सरकारों व नीति-निर्माताओं से समर्थन प्राप्त करना।
“नमह कैलेंडर” आने वाले समय में दुनिया को एक साझा समय प्रणाली देने का प्रयास है, जैसा कभी ग्रेगोरियन सुधार ने किया था।