नई दिल्ली, MERI प्रोफेशनल एंड लॉ इंस्टीट्यूट में चल रही तीसरी इंट्रा कॉलेज मूट कोर्ट प्रतियोगिता का दूसरा दिन जोश, उत्साह और ज्ञानवर्धक कानूनी बहसों से भरपूर रहा। प्रतियोगिता के सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलों में छात्रों ने अपने तर्क, आत्मविश्वास और शोध क्षमता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
कुल 38 टीमों में से सिर्फ छह ने अपनी कानूनी समझ और प्रभावशाली प्रस्तुति से सेमीफाइनल में जगह बनाई। इन टीमों ने प्रारंभिक दौर में तर्क-वितर्क, प्रश्नों के जवाब देने की कला और कोर्टरूम में संयमित व्यवहार से निर्णायकों को प्रभावित किया।
सेमीफाइनल की निर्णायक टीम में डॉ. आकसा सिकंदर, एडवोकेट विवेक शोकीन (अधिग्रहण सचिव, रोहिणी कोर्ट बार एसोसिएशन) और एडवोकेट कर्तिकेय मट्टा शामिल रहे। उन्होंने छात्र-प्रतिभागियों की सोच, तैयारी और कानूनी दृष्टिकोण का गहराई से मूल्यांकन किया।
कड़ी स्पर्धा के बाद MERI एलएलबी तीन वर्षीय पाठ्यक्रम की दो टीमें फाइनल में पहुंचीं।
फाइनल में सुप्रीम कोर्ट से आए वरिष्ठ न्यायिक विशेषज्ञों — श्री आनंद मिश्रा (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड), एडवोकेट विशाल खट्टर और एडवोकेट वंदिता नैन ने निर्णायक की भूमिका निभाई। उन्होंने प्रतिभागियों से गहराई से सोचने, ठोस तर्क रखने और दबाव में भी अपनी बात मजबूती से रखने की अपेक्षा की।
अंततः, एलएलबी तृतीय वर्ष की एक टीम ने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। टीम को उनके गहन शोध, कोर्ट रूम में प्रस्तुति कौशल और आत्मविश्वास के लिए विशेष रूप से सराहा गया।
एमईआरआई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के उपाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) ललित अग्रवाल ने इस आयोजन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देकर ही उन्हें सच्चे अर्थों में पेशेवर कानूनविद बनाया जा सकता है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर (डॉ.) रामकांत द्विवेदी (प्रमुख, एमईआरआई सीआईएस) और प्रोफेसर (डॉ.) राकेश खुराना (सलाहकार, एमईआरआई ग्रुप) ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि कानून सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि यह हर क्षेत्र से जुड़ा है, और एक अच्छा वकील वही होता है जो परंपरागत सोच से आगे जाकर समाधान ढूंढ सके।
प्रतियोगिता के समापन पर छात्र केवल ट्रॉफी और प्रमाणपत्र ही नहीं, बल्कि न्यायिक सोच, टीम वर्क और अपने पेशे के प्रति समर्पण की भावना लेकर लौटे।