डॉ. के.ए. पॉल ने कहा कि नोबेल कमिटी ने ट्रंप की झूठी दावेदारी ठुकराकर एक योग्य शांति दूत को सम्मानित किया और दुनिया को सच्चे शांति का संदेश दिया।
विश्व प्रसिद्ध शांति कार्यकर्ता और मानवतावादी डॉ. के.ए. पॉल ने नोबेल शांति पुरस्कार कमिटी के हालिया निर्णय की खुलकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि कमिटी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आत्म-प्रचार वाली दावेदारी को ठुकराकर एक सच्चे और योग्य व्यक्ति को सम्मानित कर दुनिया को सही संदेश दिया है।
डॉ. पॉल ने कहा कि ट्रंप बार-बार यह दावा करते रहे कि वे रूस–यूक्रेन युद्ध और भारत–पाकिस्तान विवाद जैसे बड़े संघर्षों को समाप्त कर सकते हैं, लेकिन उनके दावे खोखले और राजनीतिक प्रचार पर आधारित थे। नोबेल कमिटी ने इन झूठे वादों को नकारकर शांति के वास्तविक अर्थ को पुनर्स्थापित किया है।
दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. पॉल ने कहा कि ट्रंप ने अपने प्रभाव और राजनीतिक दबाव के जरिये पुरस्कार पाने की कोशिश की, जबकि सच्चे शांति कार्यकर्ता कभी स्वयं प्रचार नहीं करते, वे कार्यों से पहचाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिडल ईस्ट में ट्रंप की नीतियों ने तनाव बढ़ाया, गाज़ा में आम नागरिकों को प्रभावित किया और फिलिस्तीनियों के विस्थापन से अस्थिरता बढ़ी।
डॉ. पॉल ने यह भी उल्लेख किया कि उन्हें स्वयं तीन बार (2003, 2005, 2006) नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन उन्होंने कभी उसका प्रचार नहीं किया। उनके अनुसार, “नोबेल शांति पुरस्कार का असली हकदार वही होता है, जो निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करे, न कि राजनीतिक लाभ के लिए उसका उपयोग करे।”
अंत में डॉ. पॉल ने कहा, “नोबेल कमिटी ने ट्रंप की प्रचार रणनीति को खारिज कर यह दिखाया है कि सच्ची शांति शब्दों से नहीं, बल्कि कर्म और करुणा से बनती है। मैं उनकी ईमानदारी और दूरदर्शिता को सलाम करता हूं।”