आवारा कुत्तों की समस्या पर केंद्र सरकार का बड़ा कदम: नसबंदी, टीकाकरण और शेल्टर सुविधाओं के लिए नई योजना लागू

  • केंद्र ने जारी किए पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम 2023, राज्यों को कड़े दिशा-निर्देश
  • प्रति कुत्ता ₹800 और प्रति बिल्ली ₹600 तक की वित्तीय सहायता, शेल्टर और अस्पतालों को करोड़ों का अनुदान
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्ते हटाने के आदेश को ठहराया जरूरी, कहा—दो दशक से समस्या अनसुलझी

केंद्र सरकार ने देशभर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह समस्या मुख्य रूप से राज्य सरकारों और शहरी निकायों के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन केंद्र ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम 2023 लागू किए हैं।

ये नियम विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप हैं और कैप्चर–न्यूटर–वैक्सिनेट–रिलीज (CNVR) पद्धति को बढ़ावा देते हैं। इसके तहत आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी और टीकाकरण कर पुनः छोड़ा जाता है।

राज्यों को कड़े आदेश और लक्ष्य

स्थानीय निकायों को पशु कल्याण संगठनों के साथ मिलकर नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का आदेश दिया गया है। 16 जुलाई 2025 को केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे विशेष ABC यूनिट स्थापित करें और कम से कम 70% आवारा कुत्तों को नसबंदी अभियान के तहत लाएं।

नई योजना और वित्तीय सहायता

केंद्र सरकार ने आवारा कुत्तों और बिल्लियों के जन्म नियंत्रण और टीकाकरण के लिए अपनी योजना संशोधित की है। वर्तमान वित्तीय वर्ष से लागू इस योजना के तहत प्रति कुत्ता ₹800 और प्रति बिल्ली ₹600 की सहायता दी जाएगी।

इसके अलावा:

  • राज्य संचालित पशु चिकित्सालयों को ₹2 करोड़ का एकमुश्त अनुदान मिलेगा, जिससे ऑपरेशन थिएटर, केनेल और रिकवरी यूनिट विकसित किए जाएंगे।
  • छोटे पशु शेल्टर के लिए ₹15 लाख तक और बड़े शेल्टर के लिए ₹27 लाख तक का सहयोग दिया जाएगा।
  • मान्यता प्राप्त पशु कल्याण संस्थाओं और शहरी निकायों को भी इस योजना के अंतर्गत मदद मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और कड़ा रुख

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने के अपने आदेश को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला किसी तात्कालिक दबाव में नहीं बल्कि पिछले 20 वर्षों से इस समस्या पर प्रशासन की नाकामी के बाद लिया गया है।

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि न्यायपालिका का काम केवल जनभावनाओं को दोहराना नहीं बल्कि न्याय, विवेक और समानता को सुनिश्चित करना है।

11 अगस्त को दिए गए आदेश में कोर्ट ने कहा कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाए और पकड़े गए कुत्तों को सड़कों पर वापस न छोड़ा जाए।

सहायक कार्यक्रम और राष्ट्रीय लक्ष्य

  • लाइवस्टॉक हेल्थ एंड डिज़ीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत एंटी-रेबीज वैक्सीन की खरीद में राज्यों को सहयोग दिया जा रहा है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम और कुत्ता-जनित रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (2021) लागू कर रहा है। इसका लक्ष्य आने वाले वर्षों में देश को रेबीज मुक्त बनाना है।

प्रमाण और रिपोर्ट्स

  • ABC नियम 2023 की आधिकारिक अधिसूचना (पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत जारी)।
  • जुलाई 2025 में तीन मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्श पत्र।
  • AWBI (एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया) की अगस्त 2025 में जारी संशोधित मॉड्यूल रिपोर्ट।
  • सुप्रीम कोर्ट आदेश: 11 अगस्त 2025, बेंच – जस्टिस जे.बी. पारदीवाला एवं जस्टिस आर. महादेवन।

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