सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आवारा कुत्तों को लेकर नए नियम लागू, सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाने पर रोक

अब नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़े जाएंगे कुत्ते, उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना; 2024 में डॉग बाइट्स के 37 लाख से अधिक मामले दर्ज

दिल्ली-NCR समेत पूरे देश में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि सभी पकड़े गए आवारा कुत्तों को नसबंदी (Sterilization) और टीकाकरण (Vaccination) के बाद उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाए। बीमार, हिंसक या रेबीज से संक्रमित कुत्तों को सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और हाईकोर्ट में लंबित सभी संबंधित मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया है।

सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खिलाना प्रतिबंधित

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब किसी भी सार्वजनिक स्थान पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। नगर निगम को विशेष “डॉग फीडिंग जोन” बनाने होंगे ताकि वहां सुरक्षित तरीके से भोजन कराया जा सके। अदालत का कहना है कि खुले में खाना खिलाने से सड़क हादसों और डॉग बाइट के मामलों में वृद्धि हुई है।

उल्लंघन पर भारी जुर्माना

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति आवारा कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई में बाधा डालेगा तो उसे सख्त जुर्माना भरना होगा—

व्यक्तिगत व्यक्ति पर जुर्माना: 25,000 रुपये

NGO पर जुर्माना: 2 लाख रुपये

नगर निगम की जिम्मेदारियां तय

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि:

पकड़े गए कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाए।

डॉग शेल्टर होम में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं और स्टाफ उपलब्ध कराया जाए।

शेल्टर होम से किसी भी कुत्ते को बिना प्रक्रिया के बाहर न छोड़ा जाए।

निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

सभी राज्यों को शेल्टर होम की स्थिति और डॉग पॉपुलेशन कंट्रोल प्लान पर 2 महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करनी होगी।

डॉग बाइट्स के चौंकाने वाले आंकड़े

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि साल 2024 में भारत में डॉग बाइट्स के 37.15 लाख मामले दर्ज हुए, यानी औसतन हर दिन 10,000 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हुए।
WHO की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में 305 लोगों की मौत डॉग बाइट के कारण हुई।

पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ मामला?

पहले सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों वाली बेंच ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था।

इसके खिलाफ अपील की गई, जिसके बाद तीन-न्यायाधीशों की बेंच बनाई गई।

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया ने 14 अगस्त को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया।

डॉग लवर्स का विरोध और जनहित का सवाल

पिछले आदेश के बाद डॉग लवर्स और एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स ने विरोध प्रदर्शन किए थे। उनका कहना था कि कुत्तों को जबरन शेल्टर होम में रखना अमानवीय है। वहीं दूसरी ओर, आम नागरिकों ने डॉग बाइट और रेबीज के बढ़ते मामलों को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट का संतुलित दृष्टिकोण

कोर्ट ने कहा कि वह पशु अधिकारों और मानव सुरक्षा दोनों का संतुलन बनाकर आगे बढ़ेगा। आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता नहीं की जाएगी, लेकिन सार्वजनिक सुरक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

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