नई दिल्ली।

दिल्ली की एक अदालत ने यह कहते हुए एक जोड़े को तलाक दे दिया कि जानबूझकर सेक्स से इनकार करना मानसिक क्रूरता के समान है। मामले में याचिकाकर्ता पति ने प्रतिवादी (उसकी पत्नी) पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। जोड़े की शादी 2014 में हुई थी, जिसके बाद से पत्नी ने अब तक पति के साथ यौन संबंध नहीं बनाए।
न्यायाधीश विपिन कुमार राय की पारिवारिक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक सामान्य और स्वस्थ यौन संबंध एक खुशहाल और सामंजस्यपूर्ण विवाह के बुनियादी तत्वों में से एक है। एक पति या पत्नी द्वारा जानबूझकर यौन संबंध से इनकार करना, जब दूसरा पति या पत्नी इसके लिए चिंतित हो, मानसिक क्रूरता के समान होगा, खासकर जब पक्ष (पति और पत्नी) युवा और नवविवाहित हैं। अदालत ने कहा कि जोड़े की शादी 2014 मे हुई थी और याचिकाकर्ता पति के अनुसार उसकी पत्नी ने एक बार भी उसके साथ यौन संबंध नहीं बनाए अर्थात एक बार भी सेक्स नहीं किया। अदालत ने कहा कि सेक्स किसी भी शादी की बुनियाद है, इसके बिना लंबे समय तक शादी का टिक पाना नामुमकिन है।
अदालत ने आगे कहा कि बिना किसी वैध कारण के विवाह में यौन संबंधों से इनकार करना क्रूरता से कम नहीं है क्योंकि यह विवाह नामक संस्था की नींव पर हमला है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर पति-पत्नी बिना सेक्स के खुश है तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर दोनों में से कोई भी इससे असंतुष्ट है तो शादी का कोई मतलब नहीं है। बता दें कि ये जोड़ा एक मेट्रोमोनियल साइट के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आया था। 13 महीने तक एक दूसरे के संपर्क में रहने के बाद दोनों ने शादी कर ली थी। लेकिन पत्नी ने 9 साल तक पति से यौन संबंध नहीं बनाए तो पति को तलाक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।