नई दिल्ली।
दिल्ली की जिला अदालतों में भी अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की तर्ज पर सुरक्षा व्यवस्था रखी जाएगी। अदालत परिसर में प्रवेश करने के लिए उच्च न्यायालयों में अपनाए जाने वाले मानकों को पूरा करना होगा। बीते दो साल में एक के बाद एक कई आपराधिक वारदातों को देखते हुए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली(बीसीडी) ने यह निर्णय लिया है। बीसीडी चेयरमैन केके मेनन ने कहा कि जिला अदालतों में इस तरह की वारदात को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात कर अहम बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
बीसीडी पहचान पत्र से मिलेगी एंट्री
चेयरमैन मेनन ने बताया कि जिला अदालतों में अब बीसीडी द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र व वाहन स्टीकर के आधार पर ही अधिवक्ताओं को प्रवेश दिया जाएगा। साकेत और तीस हजारी अदालत परिसर के अंदर अधिवक्ता द्वारा हथियार लेकर जाने की दो वारदातों को देखते हुए अब अधिवक्ताओं को प्रवेश के दौरान सुरक्षा जांच करानी होगी। मेनन ने कहा कि जिला अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही सभी अदालतों का निरीक्षण किया जाएगा और अदालत में प्रवेश करने वाले हर गेट पर सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।
बीसीडी चेयरमैन ने तीस हजारी घटना की मूल वजह का पता लगाने व घटना की साजिश रचने से लेकर इसमें शामिल हर व्यक्ति की जानकारी जुटाने के लिए पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है। इसमें बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के पूर्व चेयरमैन राकेश सेहरावत, अधिवक्ता राजीव खोसला, अधिवक्ता हिमाल अख्तर, साकेत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद शर्मा, तीस हजारी के पूर्व अध्यक्ष आरएन वत्स शामिल हैं। कमेटी को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देनी है।
चार और अधिवक्ताओं का पंजीकरण हुआ निलंबित
फायरिंग मामले में बीसीडी ने चार और अधिवक्ताओं का पंजीकरण निलंबित कर दिया। इसमें तीस हजारी बार ऐसोसिएशन अतुल शर्मा के भाई अधिवक्ता ललित शर्मा, अधिवक्ता अमन सिंह, अधिवक्ता सचिन सांगवान और अधिवक्ता रवि गुप्ता शामिल हैं। बीसीडी चेयरमैन ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में सामने आने वाले अधिवक्ताओं का भी पंजीकरण निलंबित किया जाएगा। बुधवार को बीसीडी ने फायरिंग करने वाले दिल्ली बार एसोसिएन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व अधिवक्ता मनीष शर्मा का बार पंजीकरण निलंबित कर दिया था।