‘दे दे प्यार दे 2’ रिव्यू: अजय देवगन और रकुल की जोड़ी ने फिर रचा प्यार का जादू

प्यार की कोई उम्र नहीं होती! पढ़िए अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह की फिल्म ‘दे दे प्यार दे 2’ का पूरा रिव्यू — हँसी, रोमांस और इमोशन से भरी यह कहानी आपका दिल जीत लेगी।

नई दिल्ली: कहते हैं प्यार की कोई उम्र नहीं होती — और दे दे प्यार दे 2 इस बात को बड़े ही प्यारे और मज़ेदार तरीके से साबित करती है। 2018 की हिट फिल्म के इस सीक्वल में वही पुराना तड़का तो है ही, लेकिन इस बार कहानी में ज़्यादा दिल, भावनाएँ और गहराई भी देखने को मिलती है। निर्देशक अंशुल शर्मा ने फिल्म को हँसी, रिश्तों और भावनाओं के खूबसूरत मिश्रण में ढाल दिया है — जो इसे एक शानदार फैमिली एंटरटेनर बनाता है।

अजय देवगन फिर लौटे हैं अशिश के किरदार में — पचास की उम्र पार कर चुके एक तलाकशुदा इंसान के रूप में, जो अब भी सच्चे प्यार पर विश्वास रखता है। उनकी ज़िंदगी एक तरफ परिवार की जिम्मेदारियों और दूसरी तरफ अपने रिश्ते के बीच उलझी हुई है। रकुल प्रीत सिंह ने एक बार फिर आयशा का किरदार निभाया है — जो खूबसूरत, आत्मविश्वासी और ज़िंदगी से भरपूर है। दोनों की कैमिस्ट्री हल्की-फुल्की और दिल छू लेने वाली है, जो फिल्म को और भी खास बनाती है।

कहानी वहीं से शुरू होती है, जहाँ पहली फिल्म खत्म हुई थी। अब अशिश के बच्चे बड़े हो चुके हैं और उन्हें अपने पिता का किसी छोटी उम्र की लड़की से रिश्ता समझ नहीं आता। यहीं से शुरू होता है एक मजेदार सफर — जिसमें हैं पारिवारिक ड्रामे, हँसी से भरे पल और कुछ ऐसे सीन जो दिल को छू जाते हैं। फिल्म उम्र के फर्क और समाज की सोच जैसी बातों को बहुत हल्के और मनोरंजक अंदाज़ में पेश करती है।

अजय देवगन पूरी तरह फॉर्म में हैं — उनका ह्यूमर, एक्सप्रेशन और भावनाएँ, सब कुछ बेहतरीन है। उन्होंने अशिश को परिपक्वता और मस्ती दोनों के सही संतुलन के साथ निभाया है। रकुल प्रीत सिंह अपनी सहजता और स्क्रीन प्रेज़ेंस से फिल्म में ताज़गी लाती हैं। वहीं आर. माधवन अपनी मुस्कान और आकर्षक व्यक्तित्व से हर सीन में जान डाल देते हैं। जिमी शेरगिल समेत बाकी कलाकारों ने भी अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।

फिल्म का संगीत इसकी बड़ी ताकत है। गाने रोमांटिक हैं, कुछ जोश से भरपूर हैं, और सब मिलकर फिल्म के मूड को खूबसूरती से पेश करते हैं। गोवा के बीच से लेकर मुंबई की चमकदार लोकेशन्स तक — हर फ्रेम देखने लायक है। निर्देशक अंशुल शर्मा ने फिल्म की रफ्तार अच्छी रखी है; कहानी न कहीं रुकती है, न खिंचती है।

हाँ, कुछ जगहें अनुमानित लग सकती हैं, लेकिन फिल्म की भावनाएँ और हल्का हास्य आपको पूरी तरह जोड़े रखते हैं। दे दे प्यार दे 2 सिर्फ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं, बल्कि यह रिश्तों, समझ और उम्र से परे प्यार की खूबसूरत कहानी है।

वर्डिक्ट: ⭐️⭐️⭐️⭐️½ (4.5/5)अगर आप लंबे समय से कोई हल्की-फुल्की, दिल को छूने वाली फिल्म देखने की सोच रहे हैं, तो दे दे प्यार दे 2 आपके लिए बिल्कुल सही है। परिवार या दोस्तों के साथ थिएटर जाएँ, खुलकर हँसिए और शायद गुनगुनाते हुए लौटिए — क्योंकि कुछ फिल्में सिर्फ आपको अच्छा महसूस कराने के लिए बनती हैं, और यह उन्हीं में से एक है।

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