अशोकजी सिंघल की स्मृति में वैदिक विद्वानों को भारतात्मा वेद पुरस्कार प्रदान

उत्कृष्ट विद्यार्थी, आदर्श अध्यापक और श्रेष्ठ वेदविद्यालय को प्रदान हुए सम्मान

नई दिल्ली: पुणे के दादासाहेब दारोड़े सभागृह में संपन्न भारतात्मा वेद पुरस्कार महोत्सव ने अशोकजी सिंघल की स्मृति को समर्पित श्रद्धांजलि का रूप लिया। कार्यक्रम में स्वामी गोविन्ददेव गिरिजी महाराज के आशीर्वचन और आचार्य प्रद्युम्नजी महाराज की उपस्थिति ने विशेष गरिमा जोड़ी।

समारोह में सिंघल फाउंडेशन के मुख्य न्यासी सलिल सिंघलजी ने पुरस्कारों के उद्देश्य तथा पिछले नौ वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतात्मा वेद पुरस्कार उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक और उत्तम वेदविद्यालय—इन तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं। इन पुरस्कारों में क्रमशः तीन लाख, पाँच लाख तथा सात लाख रुपये की राशि, प्रमाणपत्र और स्मृतिचिह्न समाहित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पुरस्कारों के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से की जाती है, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है।

भारतात्मा वेद पुरस्कार 2025 की उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी श्रेणी का पुरस्कार हैदराबाद के नोरि केदारेश्वर शर्मा को प्रदान किया गया। वे कृष्ण यजुर्वेद तैत्तिरीय शाखा के घनान्त विद्वान हैं। उन्होंने रघुवंश जैसे संस्कृत साहित्यिक ग्रंथों के साथ-साथ प्रातिशाख्य, वर्णक्रम जैसे विशिष्ट ग्रंथों का भी अध्ययन किया है। नोरि केदारेश्वर ने गुरु श्रीराम घनपाठीजी के सान्निध्य में वेद के षडङ्गों का अध्ययन किया तथा तत्पश्चात् श्री बिल्वेश शास्त्रीजी के मार्गदर्शन में सम्पूर्ण व्याकरण का अध्ययन पूर्ण किया।

आदर्श वेदाध्यापक पुरस्कार चेन्नई के श्री अनन्त कृष्ण भट्ट को प्रदान किया गया। वे कृष्ण यजुर्वेद तैत्तिरीय शाखा के सलक्षण घनान्त विद्वान हैं। उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन और प्रकाशन किया है तथा न्यायशास्त्र और मीमांसाशास्त्र में प्रगाढ़ अध्ययन किया है। उन्होंने कांची मठ में न्यायप्रकाश और जैमिनीय न्यायमाला जैसे ग्रंथों की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं और महाराजा संस्कृत महाविद्यालय, मैसूर के विद्वान नारायण अडिग गुरुजी के मार्गदर्शन में पूर्व मीमांसा का अध्ययन किया।

उत्तम वेदविद्यालय का पुरस्कार आंध्रप्रदेश के राजमहेन्द्रवरम् स्थित श्री दत्तात्रेय वेदविद्यालय को प्रदान किया गया। यह संस्थान पिछले पच्चीस वर्षों से कृष्ण यजुर्वेद तैत्तिरीय शाखा का साङ्गोपाङ्ग अध्ययन-अध्यापन कराता आ रहा है। यहाँ संहिता के पद, क्रम, जटा, घन आदि पाठों के साथ प्रस्थानत्रयी, श्रौत-स्मार्त एवं भाष्यग्रंथों का पारंपरिक अध्ययन कराया जाता है। इस संस्थान ने कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा की सनातन शिक्षा-परंपरा के संरक्षण और संवर्द्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसके अनेक विद्यार्थी आज वेद सेवा में समर्पित हैं।

पुरस्कारों की अंतिम चयन सूची में विद्यार्थी श्रेणी से साम्भाजीनगर के केदारेश्वर शर्मा और पुणे के श्रीनिधि स्वानन्द धायगुडे, अध्यापक श्रेणी से पुणे के स्वानन्द शिवराम धायगुडे तथा वेदविद्यालय श्रेणी से तमिलनाडु के विल्लुपुरम् स्थित शंकरमठ वेदविद्यालय और आंध्रप्रदेश के कपिलेश्वरपुरम् स्थित श्री सर्वाराय वेदविद्यालय सम्मिलित थे। भारतात्मा वेद पुरस्कार महोत्सव न केवल वैदिक अध्ययन और अध्यापन की परंपरा को सम्मानित करता है, बल्कि इस प्राचीन ज्ञान–धारा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए नई ऊर्जा भी प्रदान करता है।

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