आधार आधारित बायोमेट्रिक तकनीक से उम्मीदवारों की पहचान की गई सत्यापित, भविष्य की परीक्षाओं में मिल सकता है बड़ा उपयोग
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET UG) 2025 के दौरान नई दिल्ली में फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का पायलट परीक्षण (Proof of Concept) सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के सहयोग से किया गया।
बायोमेट्रिक पहचान से परीक्षा सुरक्षा और पारदर्शिता में बढ़ोतरी
इस पायलट का उद्देश्य फेस ऑथेंटिकेशन के ज़रिए आधार आधारित पहचान सत्यापन की प्रभावशीलता और व्यवहारिकता का आकलन करना था। यह कदम परीक्षा में सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से सीधा जुड़ा रहा सिस्टम
दिल्ली के चुनिंदा NEET परीक्षा केंद्रों पर फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक को NIC की डिजिटल प्रणाली और NTA की परीक्षा प्रक्रिया के साथ एकीकृत किया गया। आधार के बायोमेट्रिक डेटाबेस का उपयोग कर यह प्रक्रिया रियल टाइम, संपर्करहित और अत्यधिक सटीक रही।
पहचान की पुष्टि में मिली उच्च सटीकता
पायलट परीक्षण के परिणामों से स्पष्ट हुआ कि उम्मीदवारों की पहचान की पुष्टि में फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक ने बहुत ही सटीक और कुशल परिणाम दिए। इससे परीक्षा प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बन सकती है।
भविष्य की परीक्षाओं में हो सकता है व्यापक इस्तेमाल
UIDAI का यह प्रयास यह दर्शाता है कि आधार फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक न केवल सुरक्षित और स्केलेबल है, बल्कि छात्रों के अनुकूल भी है। इसके जरिए छात्रों की पहचान में हेराफेरी और नकल जैसे मामलों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
डिजिटल नवाचार से पारदर्शी सार्वजनिक सेवाओं की ओर सरकार का कदम
यह संयुक्त प्रयास केंद्र सरकार की इस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है कि डिजिटल तकनीकों के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाया जाए। UIDAI का यह प्रयोग आने वाले समय में अन्य राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में भी लागू हो सकता है।
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