Monday, May 12, 2025
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भारत-पाक रिश्तों में तनाव चरम पर, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में मंत्रियों के वेतन में 188% की बढ़ोतरी

एक ओर कश्मीर में आतंकी हमले से भारत में नाराज़गी, दूसरी ओर पाकिस्तान में नेताओं की जेबें और भरीं; संसद और मंत्रियों के वेतन में भारी इज़ाफा

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। भारत लगातार ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है जो आतंकियों को शरण देते हैं। दूसरी तरफ, पाकिस्तान जो खुद को आर्थिक संकट में बताता है, वहीं उसके नेता अपने वेतन और भत्तों में बेतहाशा बढ़ोतरी करवा रहे हैं।

पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हाल ही में “केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्री (वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार) संशोधन अध्यादेश, 2025” पर हस्ताक्षर किए। इसके लागू होते ही पाकिस्तान के केंद्रीय और राज्य मंत्रियों के वेतन में करीब 188 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। यह जानकारी जियो न्यूज की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2025 की शुरुआत में ही पाकिस्तान के सांसदों के वेतन में भी भारी इज़ाफा किया गया था। इसके बाद 21 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट ने अध्यादेश के ज़रिए मंत्रियों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी को मंज़ूरी दे दी थी। अब राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह फैसला पूरी तरह लागू हो गया है। इस संशोधन के बाद अब एक केंद्रीय मंत्री का वेतन 5,19,000 पाकिस्तानी रुपये प्रति माह हो गया है, जो पहले केवल 2,00,000 रुपये था। इसी तरह, राज्य मंत्रियों का वेतन भी 1,80,000 रुपये से बढ़कर 5,19,000 रुपये प्रति माह हो गया है।

इससे पहले फरवरी में संसद ने “सांसद वेतन और भत्ता संशोधन विधेयक 2025” पारित किया था, जिसके तहत सांसदों के वेतन में भी 138% की बढ़ोतरी हुई। पहले सांसदों को 2,18,000 रुपये वेतन मिलता था, जो अब 5,19,000 रुपये हो गया है। हैरानी की बात यह रही कि इस विधेयक का किसी भी राजनीतिक दल ने विरोध नहीं किया। इसे पेश किया था पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की सांसद रोमिना खुर्शीद आलम ने, और सभी दलों ने एकमत से इसे पारित कर दिया।

गौरतलब है कि 26 जनवरी को नेशनल असेंबली की वित्त समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई थी, जिसकी अध्यक्षता अयाज सादिक ने की थी। ऐसे समय में जब देश आर्थिक बदहाली और रिकॉर्ड महंगाई से गुजर रहा है, नेताओं के वेतन में इस तरह की बढ़ोतरी आम जनता के बीच असंतोष को और बढ़ा सकती है।

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