नई दिल्ली में वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक, पहलगाम आतंकी हमले की निंदा और वैश्विक रणनीति पर मंथन
वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन (WHF) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक आज दिल्ली के वसंत विहार में संपन्न हुई। इस बैठक में संगठन ने न केवल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की तीव्र निंदा की, बल्कि हिंदू समाज के वैश्विक सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक रणनीति भी प्रस्तुत की।
बैठक की शुरुआत श्रद्धांजलि और शोक प्रस्ताव से
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए हिंदू पर्यटकों के प्रति शोक प्रस्ताव पारित कर बैठक की शुरुआत की गई। WHF ने इस बर्बर हमले को कायरता पूर्ण करार देते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की। संगठन ने केंद्र और राज्य सरकार से पीड़ितों के लिए न्याय और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।
हिंदू हितों की वैश्विक रणनीति पर फोकस
संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अजय सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विनय प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष श्री सत्य बाबू और महासचिव प्रो. ज्योत्सना तिरुनागरी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में भारत और विदेशों से आए वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।
WHF ने स्पष्ट किया कि उसकी प्राथमिकता वैश्विक हिंदू समाज को एकजुट कर सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाना, सनातन मूल्यों पर आधारित नेतृत्व विकसित करना और युवा पीढ़ी को मूल्यनिष्ठ शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना है।
देश-विदेश में हिंदू उत्पीड़न पर चिंता
बैठक में पश्चिम बंगाल में हाल के सांप्रदायिक तनाव और हिंसा तथा बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। WHF ने सरकार से इन घटनाओं पर कठोर कार्रवाई और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा की मांग की।
स्थानीय स्तर पर सक्रिय पहल और सुरक्षा तंत्र की योजना
WHF ने जमीनी स्तर पर स्वयंसेवक नेटवर्क, विधिक सहायता केंद्रों और त्वरित प्रतिक्रिया दलों की स्थापना का निर्णय लिया। इन पहलों के ज़रिए संगठन अन्याय का मुकाबला करने, सामुदायिक सहयोग को सशक्त करने और हिंदू विरोधी नैरेटिव्स का जवाब देने की दिशा में काम करेगा।
संगठन ने दोहराई अपनी भूमिका
WHF ने खुद को एक सतर्क प्रहरी संस्था बताते हुए कहा कि अब समय है कि हिंदू समाज की सुरक्षा, पहचान और अधिकारों के लिए वैश्विक स्तर पर रणनीतिक सक्रियता दिखाई जाए।
समापन भाषण में श्री अजय सिंह ने कहा, “हम केवल संकटों से नहीं जूझ रहे हैं, बल्कि सनातन धर्म के उज्ज्वल भविष्य की नींव रख रहे हैं।” उन्होंने रणनीतिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक संकल्प को समय की आवश्यकता बताया।