दया, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक थे पोप फ्रांसिस – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कैथोलिक समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस का प्रतीक बताया।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर शोक संदेश में लिखा:
“पोप फ्रांसिस के निधन से अत्यंत दुखी हूं। इस शोक की घड़ी में मेरी संवेदनाएं वैश्विक कैथोलिक समुदाय के साथ हैं। पोप फ्रांसिस को पूरी दुनिया में लाखों लोग करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे।
बचपन से ही उन्होंने ईसा मसीह के आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया था। उन्होंने गरीबों और पीड़ितों की सेवा को अपना जीवन बना लिया। उन्होंने निराश लोगों के दिलों में आशा की लौ जगाई।
मुझे उनके साथ हुई मुलाकातें आज भी याद हैं। समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से मैं अत्यंत प्रभावित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका प्रेम सदैव याद रखा जाएगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”
Deeply pained by the passing of His Holiness Pope Francis. In this hour of grief and remembrance, my heartfelt condolences to the global Catholic community. Pope Francis will always be remembered as a beacon of compassion, humility and spiritual courage by millions across the… pic.twitter.com/QKod5yTXrB
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2025
पोप फ्रांसिस : एक संक्षिप्त परिचय
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था, कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने। वह 13 मार्च 2013 को पोप बने और पहली बार किसी लैटिन अमेरिकी देश – अर्जेंटीना – से यह पदभार ग्रहण करने वाले पोप थे।
- पोप फ्रांसिस अपने सरल जीवन, गरीबों के प्रति समर्पण और जलवायु परिवर्तन पर अपने स्पष्ट रुख के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रहे।
- उन्होंने चर्च को आधुनिक दौर की चुनौतियों के अनुरूप ढालने का प्रयास किया और पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ समावेशिता, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय पर बल दिया।
- वे पहले जेसुइट पोप भी थे – यानी एक ऐसा पादरी जो येसु समाज (Society of Jesus) का सदस्य रहा हो।
करुणा और समावेशिता के प्रतीक रहे पोप
पोप फ्रांसिस ने अपने पूरे जीवन में हाशिए पर खड़े लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी। वे अमीर-गरीब के भेद से परे एक समान समाज की कल्पना करते थे। उन्होंने हमेशा संवाद, सहअस्तित्व और मानवता की एकता पर जोर दिया।
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