पृथ्वी दिवस 2025 पर भारत ने अक्षय ऊर्जा को अपनाने की दिशा में दिखाई निर्णायक प्रगति, युवाओं से लेकर स्टार्टअप्स तक निभा रहे हैं अहम भूमिका
जैसे ही भोर की किरणें यमुना के मैदानों और राजस्थान के रेगिस्तान में बिखरती हैं, भारत पृथ्वी दिवस 2025 की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” को अपनाते हुए हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद के साथ जागता है। यह दिन न केवल पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है, बल्कि यह उस समय भी आता है जब जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की चेतावनी रिपोर्ट ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। रिपोर्ट बताती है कि सार्थक जलवायु कार्रवाई की खिड़की तेजी से बंद हो रही है, लेकिन भारत इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए अक्षय ऊर्जा में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है।
जागरूकता से क्रियान्वयन तक: भारत का हरित संकल्प
भारत का हरित यात्रा अभियान अब केवल प्रतीकात्मक नहीं रहा। यह एक ठोस बदलाव की शुरुआत है — जागरूकता से लेकर व्यवहार में उतारने तक। “सूर्यप्रकाश से समाधान तक” की भावना के साथ, भारत अब नीतिगत वादों से आगे बढ़कर जमीनी क्रियान्वयन पर ध्यान दे रहा है।
जल, वायु और सूर्य जैसे प्राकृतिक स्रोतों को ऊर्जा में बदलने के लिए देश भर में कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। पृथ्वी दिवस 2025 इस बदलाव का प्रतीक बन गया है, जहां पर्यावरणीय जरूरत और आर्थिक विकास एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं।

गतिमान हरित ऊर्जा क्रांति
भारत ने अक्षय ऊर्जा को लेकर जो लक्ष्य तय किए थे, वे अब केवल कागजों में नहीं हैं। वाराणसी की छतों पर सोलर पैनल हों या तमिलनाडु के पवन फार्म, हर कोना गवाह है इस परिवर्तन का।
प्रमुख पहल:
- “सूर्योदय योजना”: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की इस योजना का लक्ष्य 2027 तक 1 करोड़ अतिरिक्त घरों में सोलर पैनल लगाना है। खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में इसका प्रभाव दिखने लगा है।
- केंद्रीय मंत्री पीवी जोशी का बयान: “स्वच्छ ऊर्जा अब सिर्फ़ जलवायु परिवर्तन नहीं, बल्कि जनसुलभता, सामर्थ्य और सशक्तिकरण का माध्यम है।”
युवा नेतृत्व में नया उत्साह
भारत के युवा अब हरित आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
- बेंगलुरु में “वॉक फॉर विंड” जैसे आयोजन
- राजस्थान में सौर ऊर्जा आधारित विज्ञान मेले
- सोशल मीडिया पर जलवायु हैशटैग्स की बाढ़
- लखनऊ की 16 वर्षीय कार्यकर्ता अनन्या प्रसाद का संदेश: “हमें भाषण नहीं, समाधान चाहिए।”
कॉर्पोरेट भारत की भागीदारी
निजी कंपनियों ने भी हरित पहल में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है:
- टाटा पावर: महाराष्ट्र में 300 मेगावाट हाइब्रिड सोलर-पवन पार्क पूरा
- रिन्यू पावर: नेट-मीटरिंग को लेकर डिजिटल जागरूकता अभियान
- इंफोसिस: 2027 तक अपने परिसरों को पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलाने की योजना
- स्टार्टअप्स की भूमिका: ज़नरूफ़, ऊर्जन, सोलरस्क्वेयर जैसे स्टार्टअप सोलर ऊर्जा को घर-घर पहुंचा रहे हैं।
स्थानीय पहल, राष्ट्रीय प्रभाव
देश के कोने-कोने में पृथ्वी दिवस पर बड़े स्तर पर गतिविधियाँ हुईं:
- चेन्नई: समुद्र तटों की सफाई
- पंजाब: वृक्षारोपण
- हैदराबाद: ई-मोबिलिटी प्रदर्शनी
- सिक्किम से सूरत: स्कूलों में कार्यशालाएं
- भारतीय रेलवे: 5,000 किमी अतिरिक्त ट्रैक का विद्युतीकरण — डीजल से मुक्ति की दिशा में कदम
चेतावनी भी, उम्मीद भी: पृथ्वी दिवस 2025 का संदेश
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव — अनियमित मानसून, गर्मी की लहरें — हमें सावधान कर रहे हैं। लेकिन भारत का “सूर्यप्रकाश से समाधान” की ओर बढ़ना यह दर्शाता है कि इच्छाशक्ति और नवाचार साथ हों तो परिवर्तन संभव है।
प्रत्येक सोलर पैनल, हर पवन टरबाइन और युवा के नेतृत्व में किया गया अभियान इस बात का प्रमाण है कि भारत न केवल जलवायु संकट का जवाब दे रहा है, बल्कि वह वैश्विक समाधान का हिस्सा बन रहा है।
अगला अध्याय: आशा की नई किरण
जैसे ही सूर्य पश्चिमी घाटों में ढलता है, अब उसकी किरणें केवल गर्मी नहीं, बल्कि ऊर्जा बनकर देश को शक्ति दे रही हैं। यही है “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” का असली मतलब।
आइए इस पृथ्वी दिवस पर हम यह संकल्प लें —
हम पीड़ित नहीं, बल्कि समाधान का नेतृत्व करने वाले होंगे।
हम हरित ऊर्जा के माध्यम से एक सतत और सशक्त भारत का निर्माण करेंगे।