“मैडम के स्कूटर का कीचड़ तो बच्चों ने साफ कर दिया, लेकिन उनके मन का कीचड़ कौन साफ करेगा?”—सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूटा
Bihar के भागलपुर जिले से सामने आए एक वीडियो ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया है। जगदीशपुर प्रखंड के मुक्हेरिया मध्य विद्यालय की एक शिक्षिका का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह दो स्कूली बच्चों से अपने कीचड़ लगे स्कूटर की सफाई करवा रही हैं। यह घटना कक्षा समय के दौरान हुई, जिससे स्कूल में पढ़ाई बाधित हुई।
इस वीडियो के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों और अभिभावकों में गहरी नाराजगी देखी गई है। उनका कहना है कि स्कूल का समय और बच्चों की ऊर्जा शिक्षा के लिए होनी चाहिए, न कि शिक्षकों के निजी कामों में।
वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
यह वीडियो 16 अप्रैल को सोशल मीडिया पर साझा किया गया था और देखते ही देखते 72,000 से अधिक बार देखा जा चुका है। एक यूज़र ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा,
“बच्चों ने मैडम के स्कूटर का कीचड़ साफ कर दिया, लेकिन मैडम के दिमाग का कीचड़ कौन साफ करेगा?”
ट्विटर पर कई लोगों ने शिक्षिका को निलंबित करने की मांग की है। एक यूज़र ने लिखा, “इस मैडम को तुरंत सस्पेंड करो।” वहीं, कुछ यूज़र्स ने सरकारी नौकरी के ‘अहंकार’ की आलोचना करते हुए कहा, “यह सरकारी नौकरी की ताकत दिखा रही हैं।”
हालांकि, कुछ लोगों ने इस वीडियो को गलत नहीं माना और शिक्षिका का बचाव भी किया।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वीडियो प्रेस के माध्यम से उन्हें प्राप्त हुआ है और संबंधित शिक्षिका से इस विषय में स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। जांच के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने न केवल शिक्षिका की मानसिकता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्कूलों में बच्चों के साथ होने वाले व्यवहार और शिक्षक-छात्र संबंधों को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।
कर्नाटक में भी हुई थी इसी तरह की घटना
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले बेंगलुरु के येलहंका क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां छात्रों से शौचालय साफ करवाया गया। कर्नाटक शिक्षा विभाग की स्पष्ट मनाही के बावजूद ऐसा हुआ, और अब उस स्कूल की भी जांच की जा रही है।
इस तरह की घटनाएं देश की शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करती हैं। शिक्षा सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा भी होनी चाहिए। अब देखना यह होगा कि भागलपुर के इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या इससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं रुक सकेंगी।
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