वैश्विक अनुपालन चुनौतियों के बीच भारत के पास है टेक्नोलॉजी आधारित समाधान की ताकत
नई दिल्ली, वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए बनाए गए अंतरराष्ट्रीय नियम FATF Travel Rule (रिकमेंडेशन 16) को अब क्रिप्टो सेक्टर में लागू करने की प्रक्रिया जारी है। पहले यह नियम पारंपरिक बैंकों पर लागू था, लेकिन 2019 से इसे वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) यानी क्रिप्टो सेवा प्रदाताओं पर भी लागू किया गया।
हालांकि, इसका क्रियान्वयन एक समान नहीं हो पाया है और विभिन्न देशों में इसकी अलग-अलग व्याख्या और अनुपालन सीमाएँ हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और डेटा साझा करने में असमानता और भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।
FATF वैश्विक असमानता और तकनीकी चुनौतियाँ बनीं रुकावट
जहाँ कुछ देशों ने जैसे स्विट्ज़रलैंड ने शून्य डॉलर सीमा निर्धारित की है, वहीं कई अन्य देशों ने ऊँची सीमाएँ तय की हैं। इसके साथ ही, अलग-अलग क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म्स के पास अलग-अलग कंप्लायंस प्रोटोकॉल हैं, जिससे डेटा ट्रांसफर और ट्रैकिंग की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
छोटे और मझोले VASPs के लिए यह अनुपालन तकनीकी और आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है। ये कंपनियाँ या तो नियमों की मार झेलती हैं या बाजार से बाहर हो जाती हैं, जिससे बाजार पर बड़ी कंपनियों का एकाधिकार बढ़ने लगता है।
क्रिप्टो ओलिगोपॉली की ओर बढ़ता बाज़ार
कुछ बड़ी वैश्विक क्रिप्टो कंपनियाँ अब अपने क्लोज्ड कंप्लायंस नेटवर्क बना रही हैं, जिससे पारस्परिक जुड़ाव (interoperability) सीमित हो रहा है। इसका असर यह है कि भारतीय कंपनियाँ इन नेटवर्क्स में केवल डेटा उपभोक्ता बनकर रह जाएँगी, और उनका नियंत्रण धीरे-धीरे कम होता जाएगा।
भारत के पास है सशक्त तकनीकी बुनियाद
भारत के पास पहले से ही मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) मौजूद है, जिसमें UPI और आधार आधारित eKYC जैसे प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं। यदि इन प्रणालियों को FATF ट्रैवल रूल से जोड़ा जाए, तो भारत अपने लिए एक पारदर्शी, कम लागत और व्यापक रूप से लागू होने वाला अनुपालन तंत्र बना सकता है।
वैश्विक नेतृत्व का अवस
भारत यदि इस दिशा में पहल करता है, तो वह रेगुलेटरी टेक्नोलॉजी (RegTech) के क्षेत्र में एक वैश्विक अग्रणी बन सकता है। अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे बाजारों में, जहाँ FATF की सख्ती बढ़ रही है, वहाँ भारत अपने स्वदेशी समाधान निर्यात कर सकता है।
नियम नहीं, रणनीतिक अवसर है ट्रैवल रूल
भारत को अब इस रूल को केवल अनुपालन की बाध्यता न मानकर, रणनीतिक अवसर के रूप में देखना चाहिए। यह न सिर्फ़ देश की क्रिप्टो अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक नियामकीय तकनीक की दिशा में भी नेतृत्व दिला सकता है।
अब समय आ गया है — भारत को आगे बढ़कर अपना रास्ता खुद बनाना होगा।
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