NSEFI और सोलरपावर यूरोप ने किया नया समझौता, वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मिलेगा नया बल
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करते हुए, नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) और सोलरपावर यूरोप ने एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षरित किया है। इस पहल का उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के बीच सौर उपकरण निर्माण और तकनीकी सहयोग को गति देना है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती, विविधता और लचीलापन मिल सके।
तकनीक और निर्माण में सहयोग से खुलेगा निवेश और नवाचार का मार्ग
भारत जहां तेजी से उभरता हुआ सौर ऊर्जा बाजार बन चुका है, वहीं यूरोपीय कंपनियां तकनीकी श्रेष्ठता, गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिए जानी जाती हैं। यह साझेदारी दोनों क्षेत्रों के बीच तकनीकी आदान-प्रदान, निवेश अवसरों की पहचान, नीति-निर्माताओं से संवाद और संयुक्त परियोजनाओं की संभावनाएं तलाशने में सहायक होगी। साथ ही, यह पहल सौर उपकरणों की बाजार तक पहुंच से जुड़े नियमों के समाधान की दिशा में भी कार्य करेगी।
स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-यूरोप की स्वाभाविक साझेदारी
सोलरपावर यूरोप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर माटे हीस्ज़ ने कहा, “भारत और यूरोपीय संघ स्वच्छ प्रौद्योगिकी में प्राकृतिक सहयोगी हैं। यूरोप में ‘नेट-ज़ीरो इंडस्ट्री एक्ट’ जैसी नीतियां लचीले और भरोसेमंद सौर उत्पादों की मांग को बढ़ा रही हैं। भारत वैश्विक सौर आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में अहम भूमिका निभा रहा है। NSEFI के साथ यह समझौता यूरोपीय निर्माताओं, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और परियोजना डेवलपर्स को भारत में नए अवसर प्रदान करेगा।”

भारत के 2030 लक्ष्य और वैश्विक ऊर्जा भविष्य को मिलेगी नई दिशा
NSEFI के सीईओ सुब्रह्मण्यम पुलिपाका ने इस अवसर पर कहा, “भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह साझेदारी न केवल भारत को एक वैश्विक सौर निर्माण केंद्र बनने में मदद करेगी, बल्कि जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में भी योगदान देगी। यह सहयोग टिकाऊ और लचीली आपूर्ति श्रृंखला के साथ-साथ सीमापार नवाचार और निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा।”
अंतरराष्ट्रीय सौर निर्माण पहल का हिस्सा है यह समझौता
यह समझौता सोलरपावर यूरोप की ‘इंटरनेशनल सोलर मैन्युफैक्चरिंग इनिशिएटिव (ISMI)’ के तहत हुआ है, जिसका उद्देश्य यूरोपीय कंपनियों और भारत जैसे रणनीतिक साझेदारों के बीच उत्पादन, निवेश और तकनीकी सहयोग के अवसरों को बढ़ावा देना है।
यह पहल न केवल भारत और यूरोप के लिए, बल्कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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