नवकार मंत्र केवल मंत्र नहीं, यह जीवन का सार और आत्मिक शांति का मार्ग है
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन किया और सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र आत्मिक शांति, स्थिरता और सद्भावना का प्रतीक है। यह केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि एक चेतना का प्रवाह है जो मानव मन और आत्मा को उज्ज्वल करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार मंत्र में पंच परमेष्ठियों को नमन करने के साथ-साथ ज्ञान, दर्शन और चरित्र का समावेश है जो मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने बताया कि जैन धर्म का मूल सन्देश आत्मविजय और अहिंसा है—बाहरी नहीं, आंतरिक शत्रुओं पर विजय ही सच्ची सफलता है।
मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक संकट का समाधान सतत जीवनशैली है, जिसे जैन समुदाय सदियों से अपनाता आया है। उन्होंने Mission LiFE के साथ जैन सिद्धांतों की संगति की सराहना की और जैन समुदाय को इस अभियान का ध्वजवाहक बनने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने लिए 9 संकल्प:
- जल संरक्षण
- माँ के नाम एक पेड़ लगाना
- साफ-सफाई का संकल्प
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना (“Vocal for Local”)
- भारत भ्रमण को प्राथमिकता देना
- प्राकृतिक खेती को अपनाना
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
- योग और खेल को जीवन का हिस्सा बनाना
- गरीबों की सेवा करना

जैन साहित्य और विरासत की प्रशंसा
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन साहित्य भारत की बौद्धिक परंपरा की रीढ़ रहा है। उन्होंने प्राकृत और पाली को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा देने की घोषणा की और ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ के तहत प्राचीन जैन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण का संकल्प दोहराया।
उन्होंने नए संसद भवन में जैन दर्शन के प्रतीकों की उपस्थिति पर भी प्रकाश डाला और कहा कि जैन दर्शन भारतीय लोकतंत्र को दिशा देता है।
अनेकांतवाद और विश्वशांति
मोदी ने अनेकांतवाद को वर्तमान समय के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताते हुए कहा कि यह विचारधारा युद्ध और टकराव को रोकने में मददगार है। उन्होंने कहा कि दुनिया को आज जैन धर्म के सिद्धांतों जैसे अहिंसा, अपरिग्रह और सह-अस्तित्व की आवश्यकता है।
अंत में प्रधानमंत्री ने जैन समुदाय, आचार्य भगवंतों और आयोजनकर्ताओं का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह आयोजन भारत को एकता, शांति और समृद्धि की ओर प्रेरित करेगा।
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