Saturday, April 19, 2025
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दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर हंगामा: आतिशी का बीजेपी सरकार पर तीखा हमला

दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष और ग्रेटर कैलाश से विधायक आतिशी ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उसके सत्ता में आते ही निजी स्कूलों ने फीस में भारी बढ़ोतरी शुरू कर दी है।

“आप सरकार में स्कूल डरते थे, अब मनमानी कर रहे हैं” – आतिशी

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए आतिशी ने कहा कि जब तक आम आदमी पार्टी की सरकार थी, कोई भी निजी स्कूल संचालक मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने की हिम्मत नहीं कर पाता था। यहां तक कि कुछ स्कूलों को वसूल की गई अतिरिक्त फीस लौटानी भी पड़ी थी। लेकिन अब बीजेपी की सरकार के आते ही शिक्षा माफिया सक्रिय हो गया है।

फीस बढ़ाने की खुली छूट या सरकारी लापरवाही?

आतिशी ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी सरकार ने निजी स्कूलों को बेलगाम बढ़ोतरी और वसूली की खुली छूट दे दी है? उन्होंने पूछा कि जिन लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बारे में शिकायत की है, क्या उन्हें भी जेल भेजा जाएगा?

“बीजेपी लाई मिडिल क्लास की तबाही”

आतिशी ने आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार सिर्फ दो महीने में मिडिल क्लास के लिए संकट लेकर आई है। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल सरकार ने 10 साल तक स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई, लेकिन अब हालात फिर बेकाबू हो चुके हैं।”

किस स्कूल ने कितनी बढ़ाई फीस?

आतिशी ने कुछ प्रमुख स्कूलों के नाम और उनके द्वारा की गई फीस वृद्धि के आंकड़े भी पेश किए:

  • सलवान पब्लिक स्कूल, मयूर विहार – 18% वृद्धि
  • हैप्पी होम पब्लिक स्कूल, रोहिणी सेक्टर 11 – 15-20% वृद्धि
  • ऑक्सफोर्ड सीनियर सेकेंडरी स्कूल, विकासपुरी – 15-20% वृद्धि
  • सेंट जेवियर्स स्कूल – 5-15% वृद्धि
  • सचदेवा पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा – ₹6,850 से ₹8,540 (26% वृद्धि)
  • सेंट कोलंबस स्कूल – ₹3,000 तक की वृद्धि
  • डीएवी स्कूल, दयानंद विहार – अभिभावकों की शिकायत
  • बिरला विद्या निकेतन – फीस बढ़ोतरी की शिकायत
  • डीपीएस वसंत कुंज – बढ़ी हुई फीस न देने पर छात्रों को धमकी

सरकार चुप क्यों?

नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह हस्तक्षेप करें और मिडिल क्लास परिवारों को राहत दिलाएं।

यह मुद्दा अब केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि शासन की प्राथमिकताओं और आम जनता की आवाज सुनने की इच्छाशक्ति का भी बन गया है।

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Aniket
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