कैंसर को प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है: HIIMS ने बिना कीमोथेरेपी के पेश किए वास्तविक सफलता के उदाहरण
HIIMS (हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन कैंसर मरीजों की कहानियाँ साझा की गईं, जिन्हें देश-विदेश के नामी अस्पतालों ने लाइलाज घोषित कर दिया था। इन मरीजों को कीमोथेरेपी और रेडिएशन की सलाह दी गई थी, लेकिन इन्होंने पारंपरिक उपचार को छोड़कर HIIMS की प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों—जैसे फीवर थेरेपी, डीआईपी डाइट, ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी, पंचकर्म चिकित्सा, “टाइम ऐज़ मेडिसिन”, आयुर्वेद और होम्योपैथी के माध्यम से—अपनी बीमारी पर विजय प्राप्त की। इस कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी और आचार्य मनीष ने किया, जिन्होंने HIIMS के समग्र चिकित्सा दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
पारंपरिक उपचारों पर पुनर्विचार करने की जरूरत
इस अवसर पर आचार्य मनीष ने पारंपरिक कैंसर उपचारों की सीमाओं पर चर्चा करते हुए कहा, “पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ अक्सर केवल लक्षणों को दबाने पर केंद्रित होती हैं, न कि बीमारी के मूल कारण को दूर करने पर। HIIMS में हमारा उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है ताकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से शरीर स्वयं लड़ सके—वह भी बिना किसी हानिकारक दुष्प्रभाव के।”
कार्यक्रम में डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने अपनी पुस्तक “रैबिट-कछुआ मॉडल फॉर कैंसर क्योर” प्रस्तुत की, जिसमें यह वैज्ञानिक प्रमाण दिए गए हैं कि कीमोथेरेपी और रेडिएशन कैंसर को ठीक करने के बजाय स्थिति को और खराब कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “मेडिकल इंडस्ट्री ने लोगों को यह विश्वास दिला दिया है कि कैंसर का इलाज केवल जहरीली दवाओं और महंगे इलाज से ही संभव है। लेकिन हमारा शोध और वास्तविक मरीजों की सफल कहानियाँ यह साबित करती हैं कि कैंसर को प्राकृतिक रूप से भी ठीक किया जा सकता है।”
HIIMS की चिकित्सा से कैंसर को मात देने वाले मरीजों की प्रेरक कहानियाँ
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वे पाँच मरीज थे, जिन्होंने कैंसर से पूरी तरह छुटकारा पाया:
- निशामणि बेहेरा (ओडिशा) – स्टेज 3 ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थीं और कीमोथेरेपी व सर्जरी की सलाह दी गई थी। लेकिन उन्होंने HIIMS की डीआईपी डाइट, फीवर थेरेपी और ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी को अपनाया। कुछ ही महीनों में उनका ट्यूमर पूरी तरह समाप्त हो गया और बिना किसी कीमोथेरेपी के वे कैंसर-मुक्त घोषित हुईं।
- प्रतिभा समल (दुबई) – उन्हें ओवेरियन कैंसर था और डॉक्टरों ने गंभीर भविष्यवाणी की थी। लेकिन HIIMS की डिटॉक्स चिकित्सा, पंचकर्म और आयुर्वेदिक दवाओं से उन्होंने कैंसर को हराकर पूर्णतः स्वस्थ जीवन प्राप्त किया।
- चंदरवती (हरियाणा) – फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही थीं और डॉक्टरों ने उन्हें कुछ ही महीने का समय दिया था। लेकिन HIIMS के योग, हर्बल थेरेपी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पोषण के जरिए उन्होंने चमत्कारी रूप से अपनी सेहत वापस पाई।
- अंबिका पुरी (चंडीगढ़) – ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) से ग्रसित थीं और डॉक्टरों ने उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं जताई थी। लेकिन हर्बल डिटॉक्स और प्लांट-बेस्ड डाइट अपनाने के बाद उनकी रक्त रिपोर्ट सामान्य होने लगी और उन्होंने पूरी तरह से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।
कैंसर का प्राकृतिक इलाज संभव है!
HIIMS की चिकित्सा पद्धतियाँ शरीर को डिटॉक्स करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोशिकाओं के स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करने पर केंद्रित हैं। इनमें पंचकर्म, डीआईपी डाइट, ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी, योग और सूर्य चिकित्सा जैसी विधियाँ शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में HIIMS के मिशन की तुलना नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम से भी की गई। जैसा कि नेताजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वैसे ही HIIMS पारंपरिक दवाओं के एकाधिकार और जहरीले चिकित्सा तरीकों के खिलाफ लड़ रहा है।
कार्यक्रम का समापन एक महत्वपूर्ण संदेश के साथ हुआ—“कैंसर कोई रोग नहीं, बल्कि एक चयापचय संबंधी विकार (Metabolic Disorder) है, जिसे प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है!”
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