NSEFI डेटा सेंटर उद्योग के डीकार्बनाइजेशन की दिशा में अहम पहल
नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) के ग्रीन डेटा सेंटर कोएलिशन ने आज अपनी पहली बैठक नई दिल्ली में आयोजित की। बैठक का मुख्य उद्देश्य डेटा सेंटर उद्योग को नवीकरणीय ऊर्जा से जोड़कर अधिक टिकाऊ बनाना और डीकार्बनाइजेशन को गति देना था। यह मंच भारत में हरित ऊर्जा को अपनाने और डेटा सेंटरों के लिए एक मजबूत ग्रीन एनर्जी इकोसिस्टम विकसित करने के लिए समर्पित है।
ऊर्जा खपत और टिकाऊ समाधान पर चर्चा
इस कोएलिशन का नेतृत्व विक्रम श्रीधरन (डायरेक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक पॉलिसी, एशिया पैसिफिक और जापान, AWS) और शरद अग्रवाल (सीईओ, Sify Infinit Spaces Limited) कर रहे हैं। बैठक में उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने चर्चा की कि कैसे भारत की विशाल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाकर डेटा सेंटरों को स्वच्छ और हरित ऊर्जा की ओर स्थानांतरित किया जा सकता है।
AWS के विक्रम श्रीधरन ने कहा, “भारत में डिजिटल सेवाओं और AI के बढ़ते उपयोग के कारण डेटा की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे ऊर्जा खपत में भी वृद्धि हो रही है। अमेज़न 100% नवीकरणीय ऊर्जा पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में NSEFI कोएलिशन को एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता है।”
Sify Infinit Spaces के सीईओ शरद अग्रवाल ने कहा, “आने वाले वर्षों में भारत में डेटा सेंटर उद्योग की वृद्धि के साथ ऊर्जा की मांग कई गुना बढ़ेगी। वर्तमान में डेटा सेंटर 1.3% बिजली की खपत करते हैं, लेकिन AI वर्कलोड बढ़ने से यह 4% तक पहुंच सकता है। हमें अभी से हरित ऊर्जा समाधानों और हितधारकों के सहयोग पर ध्यान देना होगा।”
भारत के डिजिटल और ऊर्जा लक्ष्यों को जोड़ने की पहल
पूर्व MNRE सचिव और NSEFI के मानद महानिदेशक, दीपक गुप्ता ने इस पहल को भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को एक साथ आगे बढ़ाने का अहम कदम बताया। उन्होंने कहा, “बढ़ती डेटा मांग को देखते हुए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर्यावरण के अनुकूल हो। NSEFI इस बदलाव को गति देने के लिए सरकार और उद्योग के साथ मिलकर काम करेगा।”
यह कोएलिशन, जो हाल ही में आयोजित “AI in RE” शिखर सम्मेलन में लॉन्च हुआ था, जल्द ही डेटा सेंटरों के डीकार्बनाइजेशन के लिए विशेष नीतिगत सिफारिशें तैयार करेगा। यह केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा और नवीकरणीय ऊर्जा व ऊर्जा दक्षता से जुड़े इनोवेटिव समाधानों को विकसित करने पर ध्यान देगा, ताकि भारत का डिजिटल भविष्य हरित और टिकाऊ बन सके।
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