प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगने की अमेरिकी नेताओं से अपील
विश्व प्रसिद्ध प्रचारक और ग्लोबल पीस एम्बेसडर डॉ. के. ए. पॉल ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, स्पीकर जॉनसन, सीनेटर जॉन थ्यून और अमेरिकी कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं से आग्रह किया है कि वे भारत में अल्पसंख्यकों, विशेषकर ईसाइयों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब तलब करें।
डॉ. पॉल की यह अपील उस समय आई जब मणिपुर के मुख्यमंत्री को जनता के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा। यह राज्य हाल ही में हिंसक घटनाओं का गवाह बना, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों बेघर हो गए।
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल
डॉ. पॉल ने तीखे सवाल उठाते हुए कहा:
- “प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर में हो रही हिंसा पर चुप क्यों हैं?“
- “सैकड़ों चर्च जलाए गए, हजारों लोग बेघर हो गए, निर्दोषों की निर्ममता से हत्या कर दी गई – फिर भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया?“
- “यह हिंसा पिछले दो वर्षों से क्यों बढ़ती जा रही थी, और सरकार ने इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं किया?“
अल्पसंख्यकों पर हमले कोई नई बात नहीं
डॉ. पॉल ने 1999 में ओडिशा में हुई दर्दनाक घटना की भी याद दिलाई, जब ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बच्चों को जिंदा जला दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय के दोषियों को बाद में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संरक्षण मिला।
उन्होंने कहा,
“यह सिर्फ एक घटना नहीं है। भारत में ईसाइयों, मुसलमानों और शांतिप्रिय हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। यह मोदी सरकार के तहत एक खतरनाक प्रवृत्ति बन चुकी है।”
अमेरिका की चुप्पी पर भी सवाल
डॉ. पॉल ने अमेरिकी नेताओं से भी सवाल किया कि वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं।
“अगर अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य भारत में अल्पसंख्यकों की तकलीफें नजरअंदाज कर रहे हैं, और इसके बजाय गौतम अडानी और मेघा कृष्णा रेड्डी जैसे उद्योगपतियों के भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तो वे लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के बुनियादी मूल्यों की अनदेखी कर रहे हैं।“
न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा
डॉ. पॉल ने स्पष्ट किया कि वे भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और न्याय की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।
“मैं अपने जीवन को खतरे में डालकर भी इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाता रहूंगा। हमें इस अन्याय को यूं ही नहीं होने देना चाहिए।”
उन्होंने वैश्विक नेताओं और मीडिया से भी अपील की कि वे भारत में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं और देश के कमजोर समुदायों को न्याय दिलाने में मदद करें।
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