कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में भारत को मिली बड़ी सफलता, डॉ. इंद्रजीत ने खोजी नई तकनीक जिससे दवाएं होंगी सस्ती
नई दिल्ली, भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. इंद्रजीत शर्मा ने कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे गंभीर रोगों के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। उनकी खोज से दवाओं को अधिक असरदार, सस्ती और सुरक्षित बनाने की उम्मीद जगी है। यह ऐतिहासिक घोषणा आज नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई, जिसमें देश के प्रमुख वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल हुए।
डॉ. शर्मा और उनकी टीम ने अपनी रिसर्च में दवाओं में नाइट्रोजन तत्व को बेहतर तरीके से जोड़ने की नई विधि विकसित की है। नाइट्रोजन हमारे जीवन की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में शामिल है और यह डीएनए, प्रोटीन और अधिकतर दवाओं का मुख्य हिस्सा है। इस नई तकनीक से दवाओं की निर्माण लागत में 100 से 200 गुना तक कमी लाई जा सकती है, जिससे ये दवाएं मरीजों के लिए अधिक सुलभ और किफायती हो सकती हैं।
डॉ. शर्मा ने इस अवसर पर कहा, “हमारा उद्देश्य केवल नई दवाओं का निर्माण करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि ये दवाएं हर जरूरतमंद तक पहुंचें। इस प्रक्रिया से दवाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें अन्य बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।”
कॉन्फ्रेंस में मौजूद विशेषज्ञों ने बताया कि इस तकनीक से कैंसर और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांति आ सकती है। वर्तमान में कई दवाओं में धातु-आधारित यौगिक होते हैं, जो शरीर में विषाक्तता और साइड इफेक्ट्स बढ़ाते हैं, लेकिन डॉ. शर्मा की विधि इस समस्या को हल कर सकती है। इसके अतिरिक्त, टीबी जैसी बीमारियों के लिए भी कम साइड इफेक्ट्स वाली दवाओं का निर्माण किया जा सकता है।
इस चर्चा में एम्स, नई दिल्ली के प्रो. विक्रम सैनी, सीटीयू प्राग के प्रो. रुपेंद्र शर्मा, सीसीएस विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव शर्मा और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ कविंद्र तल्यान ने भाग लिया। प्रो. विक्रम सैनी ने नाइट्रोजन की भूमिका पर चर्चा करते हुए इसे कैंसर और टीबी जैसे रोगों के इलाज में एक बड़ा कदम बताया।
कविंद्र तल्यान ने इस खोज के मानवता के लिए महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह ऐसी खोज है जो अगर सरकार और उद्योग एकजुट होकर काम करें, तो इसे उन लोगों तक पहुंचाया जा सकता है, जो अब तक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं।”
डॉ. शर्मा का यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ है और यह न केवल कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी नई उम्मीद पैदा करता है। यह तकनीक पारंपरिक तरीकों के मुकाबले पर्यावरण के अनुकूल है और धातु-आधारित यौगिकों के उपयोग से बचती है, जिससे दवाओं का उत्पादन सस्ता और सुरक्षित बनता है।
भारत, जहां कैंसर जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इस खोज से लाभ उठा सकता है। यह शोध न केवल देश में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत को कम करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मरीजों के लिए दवाओं को अधिक सुलभ बनाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में पैनल ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी खोजों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार, शोध संस्थानों और उद्योग जगत को मिलकर काम करना चाहिए। डॉ. शर्मा ने कहा, “यह सिर्फ एक वैज्ञानिक खोज नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा का एक प्रयास है। हमारा लक्ष्य है कि इन दवाओं को सुलभ और सस्ता बनाकर दुनिया भर के जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए।”
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