भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 85.25 के नए ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। यह मामूली गिरावट नहीं है, क्योंकि इसके साथ ही महंगाई और आर्थिक दबाव बढ़ने की आशंका भी गहरा गई है।
पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार के साथ-साथ रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है। आज सुबह के शुरुआती कारोबार में रुपया 10 पैसे टूटकर 85.25 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय मुद्रा को दबाव में डाल रही हैं।
रुपया मंगलवार को 85.15 पर बंद हुआ था। क्रिसमस के अवसर पर बुधवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद थे।
वैश्विक संकेतक और घरेलू प्रभाव
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को मापता है, मामूली 0.11% गिरकर 107.90 पर रहा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड 0.38% बढ़कर 73.86 डॉलर प्रति बैरल हो गया। विदेशी निवेशकों (FII) ने भी भारतीय बाजार से अपना पैसा निकाला, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया।
रुपये की गिरावट: फायदे और नुकसान
रुपये की गिरावट का असर अलग-अलग स्तर पर होता है।
- नुकसान:
- भारत, जो आयात पर निर्भर है, को कच्चे तेल और सोने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
- महंगाई बढ़ने से आम आदमी पर बोझ बढ़ जाएगा।
- विदेश यात्रा और महंगी हो जाएगी।
- फायदे:
- आईटी कंपनियों को फायदा मिलेगा, क्योंकि उनकी कमाई डॉलर में होती है।
- भारतीय निर्यात (विशेषकर अमेरिका को) सस्ता और प्रतिस्पर्धी हो जाएगा।
भारत के लिए चेतावनी
रुपये में गिरावट का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और जनता की जेब पर पड़ता है। यह जरूरी है कि मौजूदा आर्थिक हालात को संभालने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक जल्द कदम उठाएं।
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