केंद्र सरकार ने सोमवार को कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए लागू ‘नो-डिटेंशन नीति’ को समाप्त कर दिया। नई व्यवस्था के तहत जो छात्र वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होंगे, उन्हें दो महीने के भीतर पुन: परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वे पुन: परीक्षा में भी असफल होते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। यह नीति पूरे भारत में, विशेष रूप से केंद्र शासित विद्यालयों जैसे कि केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल में लागू की जाएगी।
नई व्यवस्था के प्रावधान
शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। सरकारी अधिसूचना के अनुसार, यदि कोई छात्र नियमित परीक्षा में प्रमोशन के मापदंड पूरे नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त निर्देश और दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।
यदि छात्र दोबारा परीक्षा में भी असफल होता है, तो उसे उसी कक्षा (कक्षा 5 या 8) में रोक दिया जाएगा। साथ ही, कक्षा शिक्षक उस छात्र और उसके अभिभावकों का मार्गदर्शन करेंगे और विशेष शिक्षण सहायता प्रदान करेंगे। शिक्षक बच्चों की शिक्षा में आए अंतराल को पहचानकर इसे दूर करने के लिए काम करेंगे।
नीति में बदलाव का उद्देश्य
शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा, “बच्चों में सीखने की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह निर्णय लिया गया है।”
आरटीई अधिनियम में संशोधन
2009 के बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम ने ‘नो-डिटेंशन नीति’ पेश की थी, जिसमें प्राथमिक शिक्षा के दौरान किसी भी छात्र को कक्षा दोहराने से रोक दिया गया था। 2019 में इस प्रावधान में संशोधन कर राज्यों को यह निर्णय लेने का अधिकार दिया गया कि वे इस नीति को जारी रखना चाहते हैं या नहीं। अब तक 16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश इस नीति को पहले ही समाप्त कर चुके हैं।
नीति का दायरा और महत्व
इस अधिसूचना के तहत, केंद्र द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों में यह व्यवस्था लागू होगी। नई नीति छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
ये भी पढ़ें :- दिल्ली चुनाव: अरविंद केजरीवाल आज करेंगे एक और बड़ी घोषणा, बोले- दिल्ली के लोग होंगे बेहद खुश