दिल्ली के श्री सत्य साई ऑडिटोरियम, लोधी रोड में बुधवार को चावरा सांस्कृतिक केंद्र द्वारा संत चावरा कुरियाकोस एलियास की स्मृति में चावरा लेक्चर सीरीज का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सांसद डॉ. शशि थरूर समेत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बताया गया
इस वर्ष लेक्चर का विषय ‘शिक्षा: सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक—संत कुरियाकोस एलियास चावरा, सतत विकास का एक मॉडल’ रखा गया।
सांसद डॉ. शशि थरूर ने अपने संबोधन में संत चावरा को भारत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसेवकों के लिए एक महान आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि संत चावरा ने गरीब और हाशिए पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण साधन माना।
संत चावरा के योगदान पर प्रकाश
डॉ. थरूर ने बताया कि संत चावरा ने चर्च परिसरों में पल्लीकूडम (स्कूल) स्थापित किए, भारत में पहली बार शिक्षकों को वेतन पर नियुक्त किया, और बच्चों के लिए मुफ्त मिड–डे भोजन की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि संत चावरा ने यह क्रांतिकारी पहल तब की थी, जब भारत की स्वतंत्रता में सौ साल से अधिक समय शेष था।
समावेशी और प्रगतिशील दृष्टिकोण
डॉ. थरूर ने संत चावरा के समावेशी और दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि उनकी सोच आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संत चावरा ने समाज सुधार के कई ऐसे कार्य किए, जिनकी उस समय कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
महान हस्तियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में दिल्ली चावरा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फादर डॉ. रॉबी कन्ननजिरा सीएमआई, दिल्ली आर्चडायसिस के सहायक बिशप दीपक वलेरियन टॉरो, और दीपिका अखबार के सहयोगी संपादक जॉर्ज कल्लीवायलिल ने भी सभा को संबोधित किया।
इसके अलावा, सांसद कोडिकुन्नील सुरेश, एन.के. प्रेमचंद्रन, बेनी बेहनन, एंटो एंटनी, के. राधाकृष्णन, फ्रांसिस जॉर्ज, जोस के. मणि, डीन कुरियाकोस, और हिबी ईडन समेत कई अन्य प्रमुख व्यक्तित्व और दिल्ली में केरल सरकार के प्रतिनिधि के.वी. थॉमस भी इस विशेष आयोजन में उपस्थित रहे।
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