हरियाणा के करनाल के एक जोड़े ने अपनी 44 साल पुरानी शादी को आधिकारिक तौर पर खत्म कर दिया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हुए समझौते के तहत पति ने अपनी पत्नी को 3.07 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दिया। इस रकम को चुकाने के लिए पति को अपनी खेती की जमीन और संपत्तियां बेचनी पड़ीं।
शादी और अलगाव की कहानी
इस जोड़े की शादी 1980 में हुई थी और इनके तीन वयस्क बच्चे हैं। 2006 में दोनों अलग हो गए थे। पति ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए तलाक के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन 2013 में करनाल की फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट का रुख किया।
11 साल की कानूनी लड़ाई के बाद समझौता
करीब 11 साल तक हाईकोर्ट में मामला चलने के बाद नवंबर 2023 में इसे मध्यस्थता के लिए भेजा गया। वहां पति-पत्नी और उनके बच्चों ने आपसी सहमति से शादी खत्म करने का फैसला किया। पति ने 3.07 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता देने पर सहमति जताई।
गुजारा भत्ता चुकाने का तरीका
पति ने गुजारा भत्ता तीन हिस्सों में चुकाया:
- 2.16 करोड़ रुपये डिमांड ड्राफ्ट के जरिए।
- 50 लाख रुपये फसल बेचकर नकद दिए।
- 40 लाख रुपये सोने-चांदी के गहनों के माध्यम से दिए।
समझौते के अनुसार:
“पहले पक्ष (पति) ने दूसरे पक्ष (पत्नी) को स्थायी गुजारा भत्ते के रूप में 3.07 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पत्नी और बच्चों को अब पहले पक्ष या उसकी संपत्तियों पर कोई दावा नहीं होगा। पति की मृत्यु के बाद भी उनकी संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों के अनुसार वितरित होगी, जिसमें दूसरे और तीसरे पक्ष (पत्नी और बच्चे) को कोई अधिकार नहीं होगा।”
हाईकोर्ट ने दिया तलाक का फैसला
22 नवंबर 2023 को समझौते के तहत हुआ यह मामला पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने तलाक के रूप में अंतिम रूप से मंजूर किया।
गुजारा भत्ता क्या है?
गुजारा भत्ता वह धनराशि है, जो तलाक के बाद उस जीवनसाथी को दी जाती है, जो खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ होता है। भारत में आमतौर पर तलाक की स्थिति में पुरुष को यह भत्ता देना पड़ता है। कोर्ट गुजारा भत्ते की राशि तय करने से पहले कई पहलुओं की जांच करती है।
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