भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने वित्तीय धोखाधड़ी करने वाले ‘म्यूल बैंक अकाउंट्स’ पर निगरानी बढ़ाने के लिए MuleHunter.ai प्रणाली लॉन्च की है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों और ‘म्यूल अकाउंट्स’ पर कड़ी कार्रवाई के लिए एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणाली MuleHunter.ai लॉन्च की है। यह प्रणाली रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) द्वारा विकसित की गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को बताया कि यह मॉडल बैंकों को ‘म्यूल अकाउंट्स’ की पहचान करने और उनके संचालन पर रोक लगाने में मदद करेगा, जिससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी। यह कदम ऐसे समय में आया है जब नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि साइबर अपराधों में 67.8 प्रतिशत मामले ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं।
क्या हैं ‘म्यूल अकाउंट्स’?
आरबीआई के अनुसार, ‘म्यूल अकाउंट्स’ वे बैंक खाते होते हैं जो अपराधियों द्वारा अवैध धन को ठिकाने लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये खाते अक्सर अनजाने व्यक्तियों के नाम पर खोले जाते हैं, जिन्हें आसान पैसे का लालच दिया जाता है या दबाव में लाया जाता है। इन खातों के माध्यम से धन का लेन-देन किया जाता है, जिससे बैंकों के लिए धन का पता लगाना और उसे वापस लाना कठिन हो जाता है।
‘MuleHunter.ai’ की आवश्यकता क्यों पड़ी?
रिजर्व बैंक इनोवेशन हब ने बैंकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद निष्कर्ष निकाला कि पहले के स्थिर नियम-आधारित सिस्टम धोखाधड़ी की पहचान करने में विफल रहे। इन प्रणालियों में अधिक समय लगता था, जिससे कई ‘म्यूल अकाउंट्स’ का पता नहीं चल पाता था।
कैसे काम करता है ‘MuleHunter.ai’?
MuleHunter.ai एक उन्नत मशीन लर्निंग (ML) एल्गोरिदम का उपयोग करता है, जो लेन-देन और खातों से संबंधित डेटा का विश्लेषण करता है। यह प्रणाली पारंपरिक नियम-आधारित सिस्टम से अधिक तेज़ और सटीक तरीके से ‘म्यूल अकाउंट्स’ की पहचान करती है।
RBI की प्रेस विज्ञप्ति और प्रगति
6 दिसंबर 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में आरबीआई ने ‘शून्य वित्तीय धोखाधड़ी’ (Zero Financial Frauds) पर आयोजित अपने हैकथॉन का उल्लेख किया, जो खासतौर पर ‘म्यूल अकाउंट्स’ की समस्या पर केंद्रित था। इसमें कहा गया है कि MuleHunter.ai ने बैंकों की प्रणाली में अधिक ‘म्यूल अकाउंट्स’ का पता लगाने में सफलता हासिल की है। दो बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSUs) में पायलट प्रोजेक्ट के दौरान उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
आरबीआई की इनोवेशन हब ने इस मॉडल को पहली बार अगस्त में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में प्रदर्शित किया था। इसके बाद सितंबर में इसे एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में लागू किया गया।
अगले कदम और सहयोग
वर्तमान में, आरबीआई अन्य बैंकों को भी इस परियोजना में शामिल होने और ‘म्यूल अकाउंट्स’ की समस्या से निपटने के लिए नई पहल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
यह कदम डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने और बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में आरबीआई का एक बड़ा प्रयास है।
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