चेन्नई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2 सितंबर को श्रीराम फाइनेंस के प्रमोटर्स के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई की संभावना है, जो भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी रही है। यह कार्रवाई एक लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवाद से जुड़ी है, जहां कंपनी को 300 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जो कि कई अदालती आदेशों के बावजूद अभी तक अदा नहीं किया गया है।
यह मामला, जो अब तक काफी हद तक लोगों की नज़रों से दूर रहा है, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) क्षेत्र और भारत में व्यापक निवेश पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। श्रीराम फाइनेंस, जिसकी वैल्यूएशन लगभग 1.2 लाख करोड़ की है, अब तक विश्वसनीयता के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब यह जांच के दायरे में आ गई है, जिससे निवेशकों के विश्वास पर असर पड़ सकता है।
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विवाद की शुरुआत जीपीई (इंडिया) लिमिटेड द्वारा Twarit Consultancy Services और SEPC लिमिटेड के खिलाफ दायर एक याचिका से हुई, जो श्रीराम फाइनेंस से जुड़ी हुई हैं। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसके परिणामस्वरूप 29 जनवरी 2024 को 125 करोड़ रुपए की राशि के साथ ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया गया। इस आदेश का पालन न करने के कारण कानूनी कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें अदालत अवमानना की कार्रवाई पर विचार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों का पालन न किए जाने पर चिंता व्यक्त की है, और यह भी कहा है कि 29.01.2024 का आदेश, जिसमें 07.01.2021 से प्रति वर्ष 7.25% की दर से ब्याज के साथ 125 करोड़ रुपए के भुगतान का निर्देश दिया गया था, का पालन नहीं किया गया है। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि अगली सुनवाई की तारीख तक भुगतान नहीं किया जाता है, तो वह अवमानना कार्यवाही की शुरु करने पर विचार कर सकती है। और कंपनी के निदेशकों को अदालत में उपस्थित होने का आदेश भी दे सकती है।
इस स्थिति ने भारतीय व्यापार समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने विदेशी निवेशकों के बीच गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। भारत के निजी इक्विटी बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी Gaja Capital पर इसका असर पड़ा है, जिससे देश के निवेश माहौल पर सवाल उठने लगे हैं।
श्रीराम ग्रुप, जो इसके संस्थापक आर. त्यागराजन द्वारा संचालित है, एक प्रमुख समूह है जिसके वित्त, बीमा और बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हित हैं। लगभग $34 बिलियन के वैल्यूएशन के साथ, समूह भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक संस्थाओं में से एक है, जिसकी उपस्थिति शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में है।
सुप्रीम कोर्ट जैसे-जैसे अपने निर्णय को जारी करने की तैयारी कर रहा है, इस मामले ने NBFC क्षेत्र के प्रमोटर्स के भीतर संभावित शासन संबंधी मुद्दों को उजागर किया है। श्रीराम फाइनेंस से जुड़े निवेशक और ऋणदाता कार्यवाही पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, क्योंकि इस मामले का परिणाम अन्य लेनदारों को भुगतान की मांग करने के लिए प्रेरित कर सकता है, खासकर जब समूह की संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल श्रीराम फाइनेंस पर बल्कि भारत के निवेश माहौल पर भी स्थायी प्रभाव डाल सकता है। 2 सितंबर की सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई कंपनी के भविष्य का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण हो सकती हैं और यह तय कर सकती हैं कि भारत में ऐसे मामलों को कैसे निपटाया जाता है।