पटना।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी क्षेत्र IV का 9 वां स्थापना दिवस समारोह सोमवार को पटना स्थित संस्थान परिसर में मनाया गया। कार्यक्रम में कई कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और पूर्व कुलपति, आईसीएआर पूर्वी क्षेत्र और उससे जुड़ी इकाईयों के निदेशक, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों के अलावा 14 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान चन्द्र राय कृषि विश्वविद्यालय, प. बंगाल के पूर्व कुलपति डाॅ आर के सामन्ता ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा , ” कृषि वैज्ञानिकों को पूरे समर्पण भाव से कार्य करना चाहिए। समाज ने जो उन्हें दिया है, उसे अपने नवीन अनुसंधान और नवाचार के जरिये लौटाना चाहिए। ” डाॅ आर के सामन्ता ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को आगे बढ़ाने की जरूरत बतायी।
बिहार और झारखंड के कार्यक्षेत्र वाले अटारी क्षेत्र IV के स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता आईसीएआर, नयी दिल्ली के कृषि प्रसार उप महानिदेशक डाॅ उद्यम सिंह गौतम ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आईसीएआर, कृषि विज्ञान केन्द्रों और राज्यों के कृषि विभाग को मिलकर काम करना होगा। किसानों को नये अनुसंधान, कृषि की नयी तकनीक और नवाचार से अवगत कराते रहना होगा। डाॅ गौतम ने कहा कि लोगों के फूड हैबिट में तेजी से बदलाव हो रहा है। शाम के समय लोग अब अनाज की जगह फलों का सेवन कर रहे हैं। इसके लिए फलों का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में कृषि तकनीकों की उपयोगिता बढ़ रही है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ पी एस पांडेय ने कहा , ” कृषि और किसानों की उन्नति में कृषि विज्ञान केन्द्रों की महती भूमिका है। कृषि विज्ञान केन्द्रों के योगदान को सामने लाने की जरूरत है। डाॅ पी एस पांडेय ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यों के डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टाइमलाइन के साथ स्ट्रक्चरल फाॅर्मेट में डाॅक्यूमेंटेशन की जरूरत है।”
इस अवसर पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ एस सी दूबे ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के बिना किसानों का विकास नहीं हो सकता। कृषि से जुड़ी किसी योजना का परिणाम कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से बेहतर होता है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका में वैल्यू एडिशन की जरूरत है।
अपने संबोधन में आईसीएआर कृषि प्रसार के सहायक महानिदेशक डाॅ आर के सिंह ने कहा कि आईसीएआर अटारी विज्ञान और किसान के बीच की कड़ी हैं। जिस तरीके से विज्ञान और तकनीक में बदलाव हो रहे हैं, उसको देखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।
अपने स्वागत भाषण में संस्थान के निदेशक डाॅ अंजनी कुमार ने कहा कि बिहार और झारखंड के 68 कृषि विज्ञान केन्द्र आईसीएआर अटारी क्षेत्र IV से जुड़े हैं। सबके बीच बेहतर समन्वय कर नयी कृषि तकनीक और अनुसंधान को किसानों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक डाॅ विकास दास और महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, पूर्वी चंपारण के निदेशक डाॅ के जी मंडल ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।
इस अवसर पर तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। साथ ही डिजिटल डाटाबेस मैनेजमेंट ऑफ ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की गयी। संस्थान के 9वें स्थापना दिवस समारोह में बिहार-झारखंड के 14 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख और उनसे जुड़े कृषक उत्पादन संगठनों ने अपने उत्पादों को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया। कार्यक्रम में 50 किसानों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन अटारी की वरीय वैज्ञानिक डाॅ प्रज्ञा भदौरिया ने किया। कार्यक्रम समन्वय प्रधान वैज्ञानिक मो मोनोबुरूल्लाह एवं डाॅ धर्मवीर सिंह ने किया। प्रधान वैज्ञानिक डाॅ अमरेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।