मंडियों में व्यापारियों द्वारा लागू किए जा रहे अपने ही कानून
नई दिल्ली।
मंडी टैक्स चोरी
इंदौर की देवी अहिल्याबाई मंडी में किसानों के साथ करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की जा रही है। मंडी में आडत प्रथा की आड़ में मंडी टैक्स की चोरी कर किसानों को भाव पत्रक, तोल पत्रक, और भुगतान पत्रक नहीं दिए जाते, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश की 254 मंडियों में से इंदौर, उज्जैन, बदनावर, और शाजापुर मंडियों में किसानों और सरकार से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला किया गया है।
इन मंडियों में व्यापारियों द्वारा अपने ही कानून लागू किए जाते हैं, जिससे सरकार और किसान दोनों को लूटा जा रहा है। किसानों की शिकायतों के बावजूद शासन-प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मध्यप्रदेश भारती किसान यूनियन अध्यक्ष अनिल यादव और किसानों के हितकारी मुकेश सोमानी ने दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि किसानों के हित के लिए संघर्ष जारी रहेगा और उम्मीद है कि शासन-प्रशासन जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा। जिससे किसानों को फायदा मिल सकेगा और सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी हो सकेगी।
याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी जो किसानों के हित के लिए लड़ रहे हैं, ने बताया कि 2006 में माननीय उच्च न्यायालय की डबल बेंच, इंदौर में पहला केस दायर किया गया था।
2007 में हाईकोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला लेते हुए अवैध वसूली को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन 2015 में मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के डायरेक्टर अरुण पांडे ने कोर्ट के फैसले को पलट दिया। उन्होंने बताया कि 2017 में कृषि प्रमुख सचिव श्री राजेश जी को इस बारे में पूरी जानकारी दी गई, जिसके बाद राजेश जी ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और एमडी के फैसले को गलत बताया, लेकिन व्यापारियों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया, जिससे किसानों को न्याय नहीं मिल पाया।
23 जनवरी 2024 को माननीय उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने किसान हित में फैसला देते हुए आडत प्रथा को बंद किया, लेकिन 6 महीने बाद उसी बेंच ने अपना फैसला पलटते हुए आडतियों के पक्ष में फैसला दे दिया। इससे किसानों को बहुत निराशा हुई।
किसान यूनियन ने उठाई थी मांग
किसानों के हित में मुकेश सोमानी के साथ लड़ रहे मध्यप्रदेश भारती किसान यूनियन अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि किसान यूनियन ने भी मांग की थी कि आडतियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली बंद की जाए।
भारती किसान यूनियन की प्रमुख मांग है कि इंदौर मंडी को मध्य प्रदेश की अन्य शासकीय मंडियों की तरह संचालित किया जाए। हालांकि इंदौर मंडी के आडतियों ने अपनी एक अलग प्रथा चला रखी है, जिसे बंद करवाने की कोशिशें बार-बार विफल हो जाती हैं।
इस प्रथा को समाप्त कराने के उद्देश्य से ही अब दिल्ली का रूख किया गया है, उम्मीद है कि दिल्ली में किसानों के इस मुद्दे को जरूर उठाया जाएगा। इससे न केवल किसानों को बल्कि सरकार को भी नुकसान हो रहा है।
मध्यप्रदेश भारती किसान यूनियन उपाध्यक्ष सुभाष मल्होत्रा ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि किसान समाज का मानना है कि दलालों के पैसे और प्रभाव के चलते किसान समाज हमेशा पीछे रह जाता है। लंबे समय से यह लड़ाई लड़ी जा रही है, सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि किसानों के साथ सरकार के राजस्व को भी इससे नुकसान हो रहा है।
मध्यप्रदेश भारती किसान यूनियन के सचिव संजय सकल्ले ने कहा कि इंदौर मंडी में आड़त प्रथा के माध्यम से मंडी टैक्स की चोरी कर किसानों को ठगा जा रहा है। किसानों को भाव पत्रक, तोलपत्रक, और भुगतान पत्रक नहीं दिए जा रहे हैं। सरकार और किसानों को लूटने का काम मंडियों में हो रहा है।
मुकेश सोमानी ने इस अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी और हाईकोर्ट ने किसानों के पक्ष में निर्णय लिया, परंतु व्यापारियों ने फैसले को पलटवा दिया। किसानों की मदद के लिए ही दिल्ली का रूख किया गया है।
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