प्रयागराज में 10 साल के एक बच्चे को 20 मिनट के लिए कमिश्नर बनाया गया। यह कदम प्रयागराज के कमिश्नर ने इसलिए उठाया क्योंकि बच्चे की इच्छा थी कि वह पढ़-लिखकर आईएएस अफसर बने। लेकिन दुर्भाग्यवश, बच्चे के पास इस सपने को पूरा करने के लिए ज्यादा समय नहीं था क्योंकि वह एक दुर्लभ प्रकार के कैंसर से पीड़ित है। यह कैंसर एक लाख बच्चों में से एक को होता है।
प्रयागराज: एक कैंसर पीड़ित 10 साल के बच्चे को 20 मिनट के लिए प्रयागराज का कमिश्नर बना दिया गया। यह पहल प्रयागराज के कमिश्नर द्वारा इसलिए की गई क्योंकि कैंसर से जूझ रहे इस बच्चे का सपना पढ़-लिखकर आईएएस बनने का था। कमिश्नर ने 20 मिनट के लिए उसे कमिश्नर बनाकर उसका सपना पूरा कर दिया।
10 साल के सचिन की इच्छा थी कि वह बड़ा होकर आईएएस बने और अनाथ बच्चों की मदद करे। प्रयागराज के मंडल कमिश्नर ने प्रतीकात्मक तौर पर सचिन को कमिश्नर की कुर्सी पर बैठाकर उसके सपने को साकार किया। इस दौरान सचिन के चेहरे पर खुशी की चमक साफ दिखी।
सचिन छठी कक्षा का छात्र है
प्रयागराज के शंकरगढ़ इलाके के धार गांव के सचिन को पेशाब की थैली का कैंसर है। उसका इलाज प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में चल रहा है। गांव के स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाले सचिन की इच्छा थी कि वह बड़ा होकर आईएएस बने। कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद, सचिन पिछले दिनों तक स्कूल जाता रहा।
कमिश्नर ने सचिन का सपना साकार किया
सचिन के सपने को पूरा करने के लिए अनिकेत स्मेल फाउंडेशन ने प्रयागराज के कमिश्नर से संपर्क किया। कमिश्नर ने सहर्ष स्वीकार करते हुए सचिन को 20 मिनट के लिए कमिश्नर की कुर्सी पर बैठाया। प्रयागराज के मंडल आयुक्त विजय विश्वास पंत ने खुद सचिन का स्वागत किया और उसे बुके और उपहार भेंट किए।
सचिन में है बीमारी से लड़ने की मजबूत इच्छाशक्ति
इस मौके पर कमिश्नर से बात करते हुए सचिन ने कहा कि “मैं हार नहीं मानूंगा सर, मैं डरता नहीं हूं।” विजय विश्वास पंत ने कहा कि सचिन की इच्छाशक्ति काफी दृढ़ है। उसकी इस चाहत के बारे में जानकर यह खास कार्यक्रम रखा गया ताकि उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और वह मानसिक रूप से इस बीमारी से लड़ने में सक्षम बने।
सचिन को है रेब्डोमायो सारकोमा नामक दुर्लभ कैंसर
सचिन का इलाज करने वाले डॉक्टर विवेक पांडेय का कहना है कि सचिन को रेब्डोमायो सारकोमा नामक एक दुर्लभ कैंसर है, जो एक लाख बच्चों में से एक को होता है। यह 10 से 16 साल के बच्चों में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में सचिन के इलाज के लिए पहले कीमोथेरेपी दी गई और फिर रेडियेशन दिया गया, जिससे काफी फायदा हुआ है।
डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करके पेशाब की थैली के पास से गांठ निकाली गई। हालांकि, पहले माता-पिता इस ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं थे। लखनऊ एसजीपीजीआई और अन्य बड़े अस्पतालों ने भी उसे लौटा दिया था। अब प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।
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