
विजय कुमार, नई दिल्ली।
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ(डीडीसीए)
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ(डीडीसीए) द्वारा बीसीसीआई नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। डीडीसीए लीग के लिए बनाई गई कमेटी नियमों की परवाह ही नहीं कर रही है। हाल ही में इसका उदाहरण हॉट वेदर क्रिकेट के क्वार्टर फाइनल में देखने को मिला है।
जहां टॉस डीडीसीए के बरामदे में कराया गया और मैच का निर्णय उस टॉस के आधार पर ही कर दिया, मैच का आयोजन ही नहीं कराया गया। यहां तक कि पंसदीदा टीमों के लिए भी सेमीफाइनल के नियमों में बदलाव कर दिया गया। इन मैचों को रद्द कर आगे करवाने को कह दिया गया।
बता दें कि ऐसा इस सीजन में पहली बार नहीं हो रहा, बल्कि एक बार खराब बॉल निकलने के कारण और फिर गर्मी ज्यादा होने के कारण भी मैचों को रोका गया। अगर दो मैचों को भी आगे की ओर धकेल दिया जाता तो शायद यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही नही होता।
असल में कहानी तब आगे बढ़ी, जब मॉडर्न स्कूल मैदान पर मद्रास क्लब और आरआर जिमखाना क्लब के बीच क्वार्टर फाइनल मैच 27 जून को होता है। यह मैच यूं तो रिजर्व डे के कारण अगले दिन हुआ था। ऐसे ही दूसरा क्वार्टर फाइनल गोल्डन हॉक्स और इंडियन एयर फोर्स के बीच मोहन मीकिंस के मैदान पर होना था।
मगर आयोजक रिजर्व वाले दिन भी मैच आयोजित नहीं कर सके। उन्होंने रिजर्व वाले दिन खिलाडियों के मैदान पर पहुंचने से पूर्व ही टीमों के कोचों को सुबह 6 बजे फोन करके बोल दिया कि मैदान गीला है और टीमें मैदान पर नहीं आएं। वहीं करीब 11 बजे एक दूसरा फोन करते है कि आप अपने कप्तान के साथ डीडीसीए में आ जाए वहां टॉस कर फैसला किया जाएगा।
गौरतलब है कि नियमों के अनुसार मैच साढे़ चार बजे तक खेला जा सकता था। ऐसे में न तो अंपायरों ने मैदान गीला होने की रिपोर्ट दी और न ही खिलाड़ियों को वहां पहुंचने पर मैदान को देखने दिया गया। यह कैसे और किसने तय किया कि मैदान गीला है। जबकि नियमों के तहत सुपर ओवर तक भी मैच हो सकता था।
लेकिन डीडीसीए की लीग कमेटी के अज्ञान और नियमों की समझ न रखने वाले लोगों ने मैदान के बाहर ही टीम की हार जीत का फैसला कर दिया।

आपको बता दें कि लीग कमेटी से जुड़े लोग यहां भी नहीं रूके अगले दिन जब सोनेट और आरआर जिमखाना तथा एफसीआई और गोल्डन हॉक्स के बीच सेमीफाइनल 29 जून को निश्चित हुए थे तो उनको रदद कर दिया। जबकि नियमों के अनुसार उनके मैच भी रिजर्व दिन आयोजित होने चाहिए थे या फिर उसी तरह टॉस से हार-जीत का फैसला करवाना चाहिए था,
जैसे गोल्डन हॉक्स और इंडियन एयरफोर्स के बीच कराया था। कमेटी द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाने से अच्छी टीमें टूर्नामेंट से खेले बिना ही बाहर हो रही हैं। बल्कि इससे अच्छे यंग टैलेंट को भी आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह सब अपनी पसंदीदा टीम को किसी तरह से फाइनल में पहुंचने के लिए मशक्कत की जा रही है। इस बाबत हमने लीग कमेटी के सदस्यों से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी ऑन रिकार्ड बोलने से मना कर दिया है।
यह खबर एक स्वतंत्र वरिष्ठ खेल पत्रकार ने लिखी है, इसके कंटेंट के लिए notdnews.com जिम्मेदार नहीं है।
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