Wednesday, December 4, 2024
Homeव्यापारपश्चिम रेलवे: मुंबई से दिल्ली का सफर बस 12 घंटों में होगा...

पश्चिम रेलवे: मुंबई से दिल्ली का सफर बस 12 घंटों में होगा पूरा, मिशन रफ्तार का काम पूरा, जल्द शुरू होंगे ट्रायल

नई दिल्ली।

पश्चिम रेलवे ने पिछले रविवार बोइसर के पास पावर ब्लॉक लिया जिसमें मिशन रफ्तार के लिए अंतिम चरण का काम पूरा हुआ है। पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 रूट किमी और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट से जुड़े लगभग सभी काम पूरे हो चुके हैं। मिशन से जुड़े अधिकारी की मानें, तो जल्द ही 160kmph के ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं।

बन गई है सेफ्टी की फेंसिंग

स्पीड से ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है। पूरे रूट का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा यानी 792 रूट किमी पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी मुंबई से दिल्ली के बीच चलाने की संभावना है।

कवच से होगा सुरक्षित

ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिन ट्रेन में कवच लगा हो, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। दिसंबर, 2022 में पश्चिम रेलवे पर 735 किमी पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड हुए थे, जिनका काम पूरा हो चुका है। पश्चिम रेलवे पर इस तकनीक का सफल ट्रायल हो चुका है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है।

रेलवे का टारगेट 160kmph

भारतीय रेलवे में फिलहाल ट्रेनों की औसत गति 70 से 80 किमी प्रतिघंटा है, जिसे रेलवे 160 किमी प्रतिघंटा करना चाहती है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने पटरियों के नीचे वाले बेस को चौड़ा किया है, ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे। इसके पूरे रूट पर 2×25000-वोल्ट (25 हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन) पावर लाइन बनाई गई है। इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 134 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है। 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल (पटरी) की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं। मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया गया है।

Imran Khan
Imran Khan
[Imran] has spent over [X] years in the media industry, honing [his/her/their] craft in political analysis. At Notdnews, [he] are committed to delivering in-depth coverage that resonates with readers and sparks meaningful conversations.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments