नई दिल्ली।
दिल्ली में निर्माण और तोड़फोड़ की धूल से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए अब ‘कलर कोड’ वाला प्लान तैयार किया गया है। यह प्लान 5000 स्क्वॉयर मीटर या इससे बड़ी साइट्स के लिए होगा। धूल दिल्ली में प्रदूषण की लोकल वजहों में सबसे प्रमुख है। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) और पर्यावरण विभाग ने इस प्लान के लिए चार कलर कोड सेट किए हैं। अधिकारी के अनुसार यह येलो, ऑरेंज, रेड और पर्पल हैं। यह कलर कोड चेतावनी, फाइन और साइट पर निर्माण-तोड़फोड़ को बंद करने के लिए होंगे। धूल के प्रदूषण की वजह से PM-10 लेवल तेजी से बढ़ता है। PM-10 उन कणों को कहते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोन तक का होता है। यह कण सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।
लगाए जाएंगे सेंसर
एनवायरनमेंट डिपार्टमेंट के अनुसार इस प्लान को तैयार कर सीएक्यूएम को बता दिया गया है। सीएक्यूएम से अपील की गई है कि वह 5000 स्क्वॉयर मीटर या इससे बड़े निर्माण और तोड़फोड़ की साइट पर लोगों को रियल टाइम एयर क्वॉलिटी सेंसर लगाने को कहे। इससे मिले डेटा के आधार पर डीपीसीसी इस कलर कोड को लागू करेगा। बता दें कि यह नियम पहले से है कि बड़ी कंस्ट्रक्शन साइटों पर प्रदूषण पर नजर रखने के लिए सेंसर लगाएं जाएं।
प्रदूषण बढ़ने पर भेजा जाएगा अलर्ट
अधिकारी के अनुसार रियल टाइम सेंसर में जैसे ही पीएम-10 का स्तर एक तय सीमा को पार करता है, एसएमएस के जरिए उस साइट को अलर्ट भेजा जाएगा। इसके बाद प्रदूषण बढ़ने पर जुर्माने और काम बंद करवाने की कार्रवाई होगी। पर्यावरण विभाग के अनुसार अभी दिल्ली सरकार के पास 611 एक्टिव कंस्ट्रक्शन साइट रजिस्टर्ड हैं। इनमें से करीब 329 साइटों का रियल टाइम एयर क्वॉलिटी डेटा विभाग को मिल रहा है। डिपार्टमेंट के अनुसार 282 साइटों में भी यह व्यवस्था हो सके, इसके लिए सीएक्यूएम को कहा गया है। इसके बाद कलर कोड सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा।
ऐसे काम करेंगे कलर कोड
येलो – PM-10 का स्तर 120 एमजीसीएम पहुंचने पर, एसएमएस से अलर्ट भेजा जाएगा।
ऑरेंज – एक हफ्ते में चार बार येलो स्टेज आने पर, आधिकारिक वॉर्निंग दी जाएगी।
रेड – 30 दिन में चार ऑरेंज अलर्ट आने पर, साइट का निरीक्षण अधिकारियों की टीम करेगी और कमियां मिलने पर फाइन लगेगा।
पर्पल – रेड अलर्ट के बाद तीन दिनों में एक्शन टेकन रिपोर्ट सब्मिट न करने पर, इस स्टेज पर हालात न सुधरने पर साइट पर काम बंद करवा दिया जाएगा