नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत के पहले के आदेश में संशोधन करते हुए आदेश दिया कि 2.5 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले परिवारों के बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर कैटेगरी (ईडब्ल्यूएस) कोटा के तहत दिल्ली के स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने पिछले साल 5 दिसंबर को हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के कुछ निर्देशों पर रोक लगा दी, जिसमें सरकार द्वारा संशोधन किए जाने प्रासंगिक कानून आने तक आय सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना कर दिया गया था।
पीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर कार्रवाई की, जिसने दिल्ली सरकार को माता-पिता द्वारा आय की सेल्फ डिक्लेरेशन की व्यवस्था को तुरंत खत्म करने और स्कूलों में फ्री ईडब्ल्यूएस सीटों की निरंतरता के लिए एक उचित फ्रैमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया था। इसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय (डीओई) इनकम वेरिफिकेशन और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया की रेगुलर मॉनिटरिंग के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार करेगा।
सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सीमा आय में अचानक बढ़ोतरी से 1 लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों के योग्य उम्मीदवारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे संभावित रूप से ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत एडमिशन पाने की संभावना कम हो जाएगी। अपील में सरकार ने तर्क दिया कि सीमा आय सीमा को 5 लाख रुपये तक मनमाने ढंग से बढ़ाने से, विशेष रूप से शारीरिक मजदूरों के बच्चों के साथ अन्याय होगा, और ईडब्ल्यूएस को फ्री और जरूरी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य में बाधा आ सकती है।
उन्होंने पीठ से कहा कि अगर एकल न्यायाधीश के निर्देशों को लागू करना पड़ा, तो भी राज्य को व्यवस्था बदलने के लिए समय की जरूरत होगी। पिछला आदेश एक ऐसे मामले में आया था जिसमें एक व्यक्ति ने जन्म और आय प्रमाणपत्रों में हेराफेरी करके ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत शहर के संस्कृति स्कूल में अपने बेटे का एडमिशन कराने में कामयाबी हासिल की थी।
अदालत ने खारिज कर दी थी याचिका
बता दें कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत अपना एडमिशन रद्द करने को चुनौती देने वाली लड़के की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उसे जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट के रूप में रहने की इजाजत दी थी। अब सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्कूल और बच्चे को मामले में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया और इसे अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए लिस्टेड किया है।