Sunday, January 26, 2025
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नीतीश सरकार की योजनाओं से सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से संबल हुईं बिहार की महिलाएं, घर की दहलीज को लांघ सभी क्षेत्रों में कर रहीं नेतृत्व   

नई दिल्ली

आधी आबादी के विकास से ही घर-परिवार, समाज, सूबे और देश की प्रगति संभव है। इसके लिए उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से सबल बनाना होगा। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार अक्सर अपने भाषणों में ऐसा कहा करते हैं। वे न सिर्फ वादा करते हैं बल्कि अपनी कही बातों को योजनाओं के रूप में धरातल पर उतार उसे मूर्त रूप भी देते हैं। पहले जहां बिहार में खासकर ग्रामीण महिलाओं की स्थिति बद से बदतर थी वहीं अब नीतीश सरकार में महिलाएं सरकारी योजनाओं के लाभ और अपने हौसलों की उड़ान से बिहार के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं।

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आधी आबादी की प्रगति के लिए शिक्षा पर खासा जोर दिया और वर्ष 2006 में बालिका साइकिल योजना के तहत लड़कियों को साइकिल खरीदने के लिए 3000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। आज गांव-गांव में लड़कियां साइकिल चलाकर स्कूल जाती हैं और शिक्षा ग्रहण करती हैं। एक सर्वे में सरकार ने देखा कि उच्च कक्षा में लड़कियों की संख्या काफी कम है। जब इसके कारण का पता लगाया गया तो पता चला कि गरीब घर की बच्चियां पोशाक के अभाव में स्कूल जाना ही छोड़ देती हैं। मुख्यमंत्री ने इसकी गंभीरता को समझा और पोशाक योजना की शुरुआत की ताकि लड़कियां पोशाक के अभाव में स्कूल जाना नहीं छोड़ें। साइकिल और पोशाक योजना ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया और स्कूलों में छात्र-छात्राओं का अनुपात बढ़कर 54:46 हो गया। यह मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच का नतीजा ही था कि दोनों योजनाओं की न सिर्फ देशभर में सराहना हुई बल्कि विदेशों में भी लोगों ने इसे सराहा। यह वो दौर था जब बिहार में बेटियां कुप्रथाओं और अशिक्षा की बेड़ियों के जकड़न से बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रही थीं और इसमें मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा चलाई गई योजनाएं उनकी मददगार साबित हुईं। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना की शुरुआत की गई थी। इसके अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाली कक्षा पहली से बारहवीं तक की बालिकाओं को पोशाक हेतु आर्थिक सहयता प्रदान की जाती है।

मुख्यमंत्री का साफ मानना है कि अगर लड़कियां पढ़ी-लिखी होंगी तो बिहार के प्रजनन दर में काफी गिरावट आएगी और आबादी भी कंट्रोल में रहेगी। एक अध्ययन के मुताबिक देशभर में अगर पति-पत्नी में पत्नी मैट्रिक पास है तो प्रजनन दर 2 है और बिहार में भी सर्वे कराया गया तो पता चला कि पति-पत्नी में पत्नी मैट्रिक पास है तो यहां भी प्रजनन दर लगभग 2 है। अगर पति-पत्नी में पत्नी इंटर पास है तो देश की प्रजनन दर 1.7 निकली और बिहार की प्रजनन दर 1.6 निकली। लड़कियां जब पढ़ेंगी तभी प्रजनन दर में भी गिरावट आएगी। पहले बिहार की प्रजनन दर 4.3 थी और जब से यहां पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था हुई, लड़कियां पढ़ने लगीं तो अब प्रजनन दर घटते-घटते 2.9 पर आ गई। अब इसी तरह से सबकुछ अच्छा चलते रहा तो जल्द ही प्रजनन दर घटकर 2 पर आ जाएगी।

लड़कियों को शिक्षित करने के प्रति मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार कितना गंभीर हैं उसका पता ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ से चलता है। पहले साइकिल योजना और फिर पोशाक योजना चलाकर प्राथमिक स्तर पर लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक और आकर्षित किया गया ताकि वे प्रारंभिक स्तर से ही पढ़ाई का महत्व समझ सकें और बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति स्कूलों में दर्ज कराएं। जब मुख्यमंत्री जी को लगा कि प्राथमिक स्तर पर लड़कियां पढ़ने लगी हैं तब उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ की शुरुआत की ताकि लड़कियां इससे प्रोत्साहित होकर अधिक-से-अधिक संख्या में कॉलेजों में दाखिला ले सकें। इस योजना के तहत राज्य की लड़कियों को ग्रेजुएशन तक की शिक्षा पूर्ण करने के लिए 50 हजार रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी जो कि उनके जन्म से लेकर उनके ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी होने तक मिलेगी। राज्य की 1.50 करोड़ कन्याएं इस योजना का लाभ ले सकेंगी। एक परिवार की केवल 2 कन्याओं को ही इसका लाभ मिलेगा। यदि किसी परिवार में 2 से अधिक बेटियां हैं तो केवल 2 को ही इस योजना का लाभ मिलेगा।  

राजनीति में महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम अगर किसी ने किया तो वो हैं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार। बिहार में सबसे पहले वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की गई। वर्ष 1993 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए लोकसभा एवं राज्यसभा की एक संयुक्त कमिटी बनी थी, उस समय श्री नीतीश कुमार सांसद थे और इस कमिटी के सदस्य भी थे। आरक्षण मिलने से काफी संख्या में साधारण परिवार की महिलाएं पंचायती राज संस्थाओं में चुनाव जीतकर आ रही हैं।

सरकारी सेवाओं में भी आधी आबादी की भागीदारी को बढ़ाने के लिए उन्हें 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया जिससे आज प्राइवेट सेक्टर के साथ ही बिहार के सरकारी कार्यालयों में भी महिलाओं की अच्छी-खासी संख्या काम करते देखी जा सकती है।  

बिहार सरकार ने सूबे में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्राओं के लिए कम-से-कम 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की हैं। मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना 2009-10 ने 67 लाख से अधिक महिलाओं को साक्षर बनाया वहीं 2011 की जनगणना में महिला साक्षरता में 20 प्रतिशत दशकीय वृद्धि दर्ज की गई। ‘हुनर’ कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक समूहों की हजारों लड़कियों को 20 विभिन्न व्यवसायों का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें स्वरोजगार शुरू करने के लिए ‘औजार’ कार्यक्रम के तहत टूल-किट भी प्रदान किए जाते हैं।

पुलिस सेवा की बहाली में महिलाओं को आरक्षण देकर मुख्यमंत्री ने महिला समाज को ताकतवर बनाने का काम किया है। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए ही मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने वर्ष 2013 में बिहार पुलिस की बहाली में उन्हें 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया। अब पुलिस बल में बड़ी संख्या में महिलाओं की भर्ती हो रही है। 25.30 प्रतिशत भागीदारी के साथ बिहार महिला पुलिस देश में अव्वल है। सूबे में 28 हजार से ज्यादा महिलाएं पुलिस सेवा में कार्यरत् हैं। बिहार में जहां 25.30 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी हैं वहीं दिल्ली में 12.30 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी हैं जबकि महाराष्ट्र में 12.52 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी हैं तो तमिलनाडु में 18.50 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी हैं। बिहार में पहली बार महिला बटालियन का गठन हुआ है। सभी 40 पुलिस जिलों में एवं 4 रेल पुलिस जिलों में एक-एक महिला थाना की स्थापना एवं इसके लिए विभिन्न कोटि के 647 पदों का सृजन किया गया है। अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए स्वाभिमान बटालियन का गठन हुआ है।

इतना ही नहीं बिहार सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में महिला सशक्तीकरण नीति भी तैयार की है। इसके तहत कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत महिलाओं को अपना कारोबार शुरू करने के लिए कुल 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाती है जिसमें उन्हें 5 लाख रुपये ऋण के तौर पर और 5 लाख रुपये अनुदान के रूप में प्रदान किया जाता है। महिलाओं को इस लोन के लिए ब्याज नहीं देना पड़ता। लोन चुकाने के लिए उन्हें सात साल का समय मिलता है। सिविल सेवा में लड़कियों को प्रोत्साहित करने हेतु मुख्यमंत्री महिला सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर उन्हें बी0पी0एस0सी0 की मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए 50,000 रुपये और यू0पी0एस0सी0 की मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए पास करने पर 100000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है। मुख्यमंत्री बालिक प्रोत्साहन योजना के तहत मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करनेवाली बालिकाओं को 10000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी जिसे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जीविका नाम दिया है, आज के समय में 1 करोड़ 27 लाख से अधिक परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। बिहार देश का पहला राज्य बन गया है जहां महिलाओं द्वारा संचालित 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह है। जीविका से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी हैं। जननी बाल सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के साथ अन्य कई योजनाएं महिला सशक्तीकरण के लिए चलाई जा रही हैं। राज्य के 38 जिलों में मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत घरेलू हिंसा के पीड़ितों को मुफ्त मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए महिला हेल्पलाइन की स्थापना की गई है।

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में आधी आबादी का उत्तरोतर विकास हो रहा है। बालिका शिक्षा से लेकर महिलाओं के उद्यम हेतु सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। जहां जीविका से उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली वहीं पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण के बाद वे राजनीति में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।    

Imran Khan
Imran Khan
[Imran] has spent over [X] years in the media industry, honing [his/her/their] craft in political analysis. At Notdnews, [he] are committed to delivering in-depth coverage that resonates with readers and sparks meaningful conversations.
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